खगड़िया के अलौली थानाक्षेत्र के मेघौना निवासी गिरिश यादव करते तो हैं मजदूरी का काम, लेकिन हाल में उनके नाम पर केंद्रीय जीएसटी महकमा की तरफ से साढ़े 37 लाख जुर्माने का नोटिस आ गया। यह नोटिस महकमे की राजस्थान की पाली यूनिट से आया है। नोटिस आने के बाद गिरिश को पता चला कि उसके नाम से एक कंपनी भी चल रही, जिसमें करोड़ों के टैक्स की हेराफेरी की गयी है। इसी वजह से साढ़े 37 लाख का जुर्माना लगाया गया है। पता चला कि कुछ समय पहले वह दिल्ली मजदूरी करने गया था। वहां उसका आधार और पैन कार्ड लिया गया था। पूरी संभावना है कि इन दस्तावेजों का गलत तरीके से उपयोग कर शेल (खोखा/फर्जी) कंपनी बना दी गयी थी। फिर इसके जरिए करोड़ों के टैक्स की हेरीफेरी की गयी है।

गिरिश का यह अकेला मामला नहीं है। एक अन्य मामला गया के चौक निवासी राहुल कुमार का सामने आया है। उनकी कोयले की दुकान है। वह रोजाना तीन-चार हजार रुपये कमाते हैं। परंतु उसके खिलाफ 200 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नोटिस आ गया। जांच में पता चला कि उसके दस्तावेज का उपयोग करके हरियाणा में एक शेल कंपनी खोलकर करोड़ों की टैक्स चोरी की गयी है। राहुल तो कभी बाहर कमाने भी नहीं गया था।

गया के ही दलित टोला में रहने वाले बेहद गरीब हरि मांझी भी कोलकाता में रजिस्टर्ड एक शेल कंपनी में निदेशक हैं। वह कोलकाता कमाने गया था और इस ट्रैप में फंस गया। बक्सर के भी कुछ मजदूरों से जुड़े ऐसे फर्जी मामले सामने आये हैं।

इन दोनों जैसे सैकड़ों लोग हैं फंसे गिरिश, राहुल जैसे सैकड़ों गरीब हैं, जिनके नाम पर शेल कंपनियां कोलकाता, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में चल रही हैं। ऐसी सबसे अधिक फर्जी कंपनियां कोलकाता के बाद दिल्ली में हैं। पिछले एक से डेढ़ वर्ष के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने करीब सात लाख शेल या खोखा कंपनियों को रद्द करते हुए कार्रवाई का आदेश दिया है। बिहार से करीब 90 कंपनियों के तार सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, जिनकी जांच केंद्रीय जीएसटी महकमा कर रहा है। हालांकि इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है। इन कंपनियों से जुड़े लोगों को नोटिस भी भेजे गये हैं। कुछ के नाम-पते फर्जी होने या नहीं मिलने के कारण नोटिस प्राप्त नहीं हो सके। शेल कंपनियों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निदेशक या शेयर होल्डर बनाकर ऐसे मजदूरों के नाम पर पूरा खेल किया जाता है। वैसे मजदूरों को ज्यादा टार्गेट किया जाता है, जो दूसरे राज्य कमाने जाते हैं।

जीएसटी में टैक्स चोरी का नया ट्रेंड

जीएसटी लागू होने के बाद फर्जीवाड़ा करने वालों ने शेल या खोखा कंपनी बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट की आड़ में टैक्स चोरी करने का गोरखधंधा बड़े स्तर पर शुरू किया है। बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियां बनाकर इनमें फर्जी बिल के आधार पर लेनदेन दिखाते हुए टैक्स रिटर्न या छूट के तहत सरकार से रिटर्न के तौर पर पैसे ले लेते हैं। कुछ शेल कंपनियां तो कई साल चलने के बाद पकड़ में आती हैं, जबकि कुछ तो बंद होने के बाद पकड़ी जाती हैं।

कुछ फंस जाते प्रलोभन में

कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें जालसाज मजदूरों को प्रलोभन देकर उनके दस्तावेजों का इस्तेमाल शेल कंपनियां बनाने किया गया है। किसी से सिम कार्ड लेने, तो किसी से कुछ रजिस्ट्रेशन कराने की बात बताकर दस्तावेज लिए गये। हालांकि इस तरह के मामलों की संख्या कम है।

क्या है शेल कंपनी

शेल कंपनियां वैसी कम्पनियां हैं जो प्राय कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करती पर मनी लॉन्ड्रिंग का आसान जरिया होती हैं। इन्हें ‘मुखौटा कम्पनी’ या ‘छद्म कम्पनी’ भी कहते हैं।

Source : Hindustan

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