बिहार की राजधानी पटना के सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश हिसारिया एक अनोखा ब्लेड बैंक चलाते हैं। दरअसल, यह वेबसाइट (www.biharbloodbank.com) के माध्ययम से संचालित एक वर्चुअल ब्लड बैंक है। इस वेबसाइट पर किसी भी वक्त कोई जरूरतमंद रक्तदाता को सर्च कर सकता है। मुकेश का दावा है कि वे अपने इस अभियान के जरिये करीब 30 हजार लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं। इसके लिए साल 2013 में उन्हें अमिताभ बच्चन की भी सराहना मिल चुकी है। शाहरुख खान भी उनके इस जुनून की प्रशंसा कर चुके हैं।
इनके रक्त से बंधी है जिंदगी की डोर
पटना के गोविंद मित्रा रोड के रहने वाले मुकेश हिसारिया न जाने कितनों से ‘खून’ का रिश्ता जोड़ लिया है। मुकेश कहते हैं कि खून बनाने की कोई मशीन नहीं है, इसलिए इंसान ही इंसान की मदद कर सकता है। 48 साल के हिसारिया 48 बार रक्तदान कर चुके हैं। मां वैष्णव देवी सेवा समिति के माध्यम से वह पटना में रहकर पूरे देश में खून की जरूरत को पूरा करते हैं।
महानायक अमिताभ बच्चन ने बढ़ाया था हौसला
मुकेश के साथ 250 लोग काम करते हैं। साथ ही देशभर में उनसे 1000 से अधिक लोग जुड़े हैं। वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और एसएमएस के माध्यम से ब्लड देने के लिए पूरे देश में मुहिम चला रहे हिसारिया का हौसला बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और अभिनेता शाह रुख खान भी बढ़ा चुके हैं। मुकेश बताते हैं, ‘कौन बनेगा करोड़पति की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन ने उनसे 10 मिनट तक बात की थी।’ उन्होंने पूछा था कहां से मिलता है हौसला, क्या कर सकता हूं आपके लिए? मुकेश ने कहा था, ‘बड़ी उम्मीद के साथ मेरे पास लोग आते हैं, उनके चेहरे की खुशी ही मेरे लिए सबकुछ है। हो सके तो आप भी रक्त देने के लिए अपील करें।’
शाहरुख से बोले थे, ‘मुझे है रक्त देने का जुनून’
मुकेश बताते हैं शाहरुख खान ने फिल्म ‘फैन’ के प्रमोशन के समय देश के 10 जुनूनी लोगों को मुंबई बुलाया था। उसमें पटना से मुकेश हिसारिया थे। मुकेश बताते हैं, शाह रुख से मिलने के लिए सभी दस लोग लाइन में लगे थे। सभी किंग खान को अपना फैन बता रहे थे। जब मेरा नंबर आया तो शाह रुख ने पूछा, आप किसके फैन हैं? मैंने कहा मुझे रक्त देने का जुनून है। शाह रुख कुछ सेकेंड तक मुझे देखते रहे। मुकेश ने बताया कि लाफ्टर कपिल के शो में उनके इस जुनून की सराहना हो चुकी है।
एक से दो घंटे में पहुंच जाते हैं डोनर
मुकेश बताते हैं कि ब्लड की मांग करने वाले 80 प्रतिशत लोग बिहार से जुड़े होते हैं। उनके पास पूरे देश से लोग संपर्क करते हैं। जिन्हें एक से दो घंटे के बीच डोनर उपलब्ध करा दिए जाते हैं। ‘ओ निगेटिव’ और ‘ए निगेटिव जैसे रेयर ग्र्रुप का ब्लड न मिलने पर रेडियो से जानकारी देकर ब्लड डोनेट करने की अपील की जाती है।
ऑरकुट पर संदेश देकर की थी अपील
हिसारिया 1991 में अपनी मां को इलाज के लिए मद्रास (चेन्नई) लेकर गए थे। वहां कई मरीजों को खून की जरूरत के लिए जूझते हुए देखा था। मुकेश कहते हैं कि उसी वक्त उन्होंने ठान लिया था कि दूसरों की भी खून की जरूरतों को वह पूरा करेंगे। इसके लिए उन्होंने 1991 से ही काम करना शुरू कर दिया, लेकिन 2006 में पहली बार सोशल मीडिया का सहारा लिया। तब ऑरकुट पर एक ब्लड की जरूरत को लेकर पहली बार संदेश लिखा था। उस वक्त लोगों ने विरोध किया था। लोग कहते थे कि ये सोशल मीडिया का दुरुपयोग है। इसके बाद फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम व एसएमएस से मुहिम की शुरुआत हो गई। www.biharbloodbank.com नाम से वेबसाइट बनाई। ब्लड के लिए मुकेश हिसारिया से उनके मोबाइल नंबर 9308393446 पर संपर्क किया जा सकता है।
तीन बार मुख्यमंत्री के लोकसंवाद कार्यक्रम में की शिरकत
मुकेश हिसारिया के जुनून को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन बार उन्हें लोक संवाद कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता दिया। इस दौरान हिसारिया ने सीएम से बीपीएल कार्ड धारकों के लिए ब्लड बैंक बनाने की अपील की।
इन्हें भी जानें
66 बार खून देकर संजय बचा चुके हैं दूसरे की जिंदगी
एक्जीबिशन रोड के रहने वाले 51 साल के संजय अवस्थी ने 66 बार रक्तदान कर दूसरों की जान बचाई है। संजय बताते हैं कि वो 1986 से रक्तदान कर रहे हैं। उनके पिता भारतीय सेना में थे। एक बार पिता ने कहा कि सेना में कुछ जवानों को खून की जरूरत है। उस वक्त उम्र सिर्फ 18 साल थी। तब पहली बार रक्तदान किया । अभी तक ये सिलसिला जारी है। जान पहचान से लेकर अनजान लोगों को भी खून की जरूरत होती है तो संजय देते हैं।
अनुपमा ने अपने खून से बचाई नवजात बच्चे की जान
नाला रोड की रहने वाली 27 साल की अनुपमा सिंह पिछले सात सालों से रक्तदान कर रही हैं। बताती हैं कि अभी तक उन्होंने 20 बार से ज्यादा रक्तदान कर दिया है। अनुपमा बताती हैं कि कुछ साल पहले उनके पास फोन आया था कि एक नवजात बच्चे को खून की जरूरत है। उस दिन पटना बंद था। फिर भी किसी तरह वो अस्पताल पहुंची । उनके खून देने के बाद बच्चे की जान बच गई।
रश्मि ने उपवास तोड़ दूसरों की बचाई जान
नया टोला की रहने वाली 25 साल की रश्मि तिवारी पिछले पांच सालों से रक्तदान कर रही हैं। अभी तक उन्होंने कई लोगों की जान बचाई है। एक बार वो उपवास में थीं। उनके पास एक मित्र का फोन आया। किसी को रक्त की बहुत जरूरत थी। रश्मि ने उपवास की परवाह किए बगैर रक्त देकर उस आदमी की जान बचाई।
नीलिमा ने किया है पांच बार रक्तदान
नाला रोड की रहने वाली 23 साल की नीलिमा सिंह शुरुआत में एनिमिया की मरीज थी। पर रक्तदान की इच्छा हुई तो अपनी डाइट में सुधार लाया। उन्होंने अभी तक पांच बार रक्तदान भी किया है। अभी भी वो अपने सेहत पर सिर्फ इसलिए ध्यान दे रही हैं क्योंकि उन्हें रक्तदान करना है और दूसरों की मदद करनी है।
Input : Dainik Jagran