आज है गुरु पूर्णिमा। 13 जुलाई को गुरु के प्रति सम्मान और आस्था प्रकट करने का दिन है। इस दिन गुरु का आशीर्वाद लेना चाहिए। कहते हैं बिना गुरु के जीवन अधूरा है, इसलिए गुरु शब्द का अर्थ है, अंधकार को हरने वाला प्रकाश और गुरु पूर्णिमा उस प्रकाश का उत्सव है। इस दिन हो सके तो गुरु को नमन कर उन्हें कोई भेंट देनी चाहिए।
1.कबीरदास जी ने भी कहा है, गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय । बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।। इसका अर्थ है ईश्वर और गुरु दोनों खड़े हैं और अब मैं दुविधा में हूं किसके पैर पहले स्पर्श करुं। ऐसे में गोविंद ने ही बताया कि पहले गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए। गुरु ही जीवन में ज्ञान का मार्ग प्रश्त करते हैं। हमें सही गलत का फर्क बताते हैं। इसलिए भगवान से भी पहला स्थान गुरु का है।
2.गुरु की महिमा को लेकर एक दोहा और है
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
इस दोहे में कहा गया है, गुरु ही बह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश हैं। इसका अर्थ है, इस सृष्टि को चलाने वाले ईश्वर से भी बढ़कर गुरु हैं। इसलिए ऐसे गुरु को बार-बार प्रणाम है।
3.गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
4.वेदव्यास जी आदिगुरु हैं। सभी पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। इन्होंने वेदों को विभाजित किया है, जिसके कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था।
Source: Live Hindustan
2.गुरु की महिमा को लेकर एक दोहा और है
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
इस दोहे में कहा गया है, गुरु ही बह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश हैं। इसका अर्थ है, इस सृष्टि को चलाने वाले ईश्वर से भी बढ़कर गुरु हैं। इसलिए ऐसे गुरु को बार-बार प्रणाम है।
3.गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
4.वेदव्यास जी आदिगुरु हैं। सभी पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। इन्होंने वेदों को विभाजित किया है, जिसके कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था।