बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और 9 बार विधायक रहे रमई राम का गुरुवार को पटना में निधन हो गया। यहां के एक बड़े अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वे 81 वर्ष के थे। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को मुजफ्फरपुर के मालीघाट में होगा। राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया। उन्होंने रमई राम की पुत्री गीता कुमारी से बात कर उन्हें सांत्वना दी। रमई राम का पार्थिव शरीर गुरुवार की शाम बिहार विधानमंडल परिसर में लाया गया। यहां विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा की तरफ से उपसचिव ने उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया। राजद कार्यालय में भी नेताओं ने माल्यार्पण किया। 10 जून काे दिल का दाैरा पड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 12 जुलाई काे उनकी सेहत अचानक खराब हाेने पर उन्हें दाेबारा भर्ती कराना पड़ा। उन्हाेंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली।
खुद 10वीं पास थे, लेकिन सरस्वती के उपासक ऐसे कि आवास में ही मंदिर बना दिया : पूर्व मंत्री रमई राम मां सरस्वती के उपासक थे। उनकी खुद की शिक्षा 10वीं तक हुई। लेकिन, मां सरस्वती की अराधना के लिए अपने मालीघाट स्थित आवास पर वर्ष 2000 में सरस्वती मंदिर बनवाया।
आस्था ऐसी थी कि शिवरात्रि में गले में जिंदा नाग लटका बन जाते थे भोलेनाथ
पूर्व मंत्री रमई राम की सामाजिक, राजनीतिक के साथ धार्मिक कार्यों में आस्था थी। शिवरात्रि में गले में जिंदा नाग लटका भोलेनाथ बन जाते थे। बच्चों को भी बारात में शामिल कराते थे। शहर में शिव की बारात के दौरान वे कई बार ऐसा कर चुके हैं। पूर्व मंत्री की बेटी गीता कुमारी ने कहा कि श्रद्धा-भक्ति और गरीबाें की सेवा में ही उनका समय बीतता था। जब वे बच्चे थे तब गरीब बच्चों को पढ़ाया करते थे। आवास ताे हमेशा शहर के मालीघाट में रहा लेकिन बाेचहां क्षेत्र के जन-जन के दिल में वे बसते थे।
बाेचहां विधानसभा क्षेत्र से 9 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ समाजवादी नेता रमई राम का बुधवार की दाेपहर पटना के मेदांता हाॅस्पिटल में निधन हाे गया। वे 79 वर्ष के थे और राजद सुप्रीमाे लालू प्रसाद के बेहद करीबी माने जाते थे। पिछले माह से वे बीमार चल रहे थे। 10 जून काे दिल का दाैरा पड़ने पर उन्हें पटना हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया था। सुधार हाेने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन, 12 जुलाई काे उनकी सेहत अचानक खराब हाेने पर उन्हें दाेबारा भर्ती कराना पड़ाना था, जहां उन्हाेंने अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर विधानसभा ले जाने के बाद देर शाम मालीघाट स्थित आवास पर लाया गया। उनकी बेटी गीता कुमारी ने कहा कि पापा का अंतिम संस्कार शुक्रवार को आवास के सामने की जमीन पर हाेगा। उसी जगह पर पूर्व मंत्री की पत्नी तेतरी देवी का भी अंतिम संस्कार किया गया था। वे तीन बार राजद से, दाे बार जद से, एक बार जदयू से एवं तीन बार अन्य दलाें के टिकट पर बाेचहां सीट से विधायक रहे। 5 बार बिहार सरकार में मंत्री भी रहे। उनके निधन की जानकारी मिलते ही उनके समर्थकाें एवं बाेचहां क्षेत्र में शाेक की लहर दाैड़ गई। उनके मालीघाट अावास पर लाेगाें का आना शुरू हाे गया।
अप्रैल में हुए विस उप चुनाव में बेटी काे VIP से मैदान में उतारा, जीवन काल में बेटी को राजनीति में सेट करने की इच्छा पूरी नहीं हुई
पूर्व मंत्री रमई राम की राजनीतिक पारी की शुरवात 1969 में वार्ड चुनाव से हुई। लेकिन, पहली बार 1972 में बाेचहां सीट से विधायक बने ताे फिर 5 दशक तक क्षेत्र की राजनीति की धुरी बन गए। 1977 काे छाेड़ दें ताे इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1980, 1985, 1990, 1995, 2000, 2005 फरवरी व अक्टूबर, 2010 में यानी 9 बार विधायक चुने गए। 40 साल विधायक और 5 बार दाे दशक मंत्री रहे। राजद सुप्रीमाे लालू प्रसाद के करीबी हाेने के कारण राजद शासन में उनकी राजनीति में हनक थी। लेकिन, 2015 से उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा। 2015 के चुनाव में निर्दलीय बेबी कुमारी ने, जबकि 2020 में VIP के मुसाफिर पासवान ने उन्हें पटखनी दी। मुसाफिर पासवान के निधन के बाद गत अप्रैल में हुए उप चुनाव में वे खुद मैदान में न उतरकर राजद से अपनी बेटी गीता कुमारी काे टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन, टिकट पाने में वे असफल रहे। मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान काे राजद ने वीअाईपी से लाकर टिकट दिया ताे आनन -फानन में वे VIP के पाले में चले गए। लेकिन, चुनाव में शिकस्त मिलने से अपने जीवन काल में बेटी काे राजनीति में सेट करने की इच्छा पूरी नहीं हाे सकी। हालांकि, गीता कुमारी एक बार विधान पार्षद रह चुकी हैं। 2009 के लाेकसभा चुनाव में रमई राम राजद के टिकट पर हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिलने पर वे कांग्रेस के टिकट पर गाेपालगंज से लाेकसभा चुनाव लड़े। लेकिन, यह इच्छा भी अधूरी रह गई। दूसरे दल से चुनाव लड़ने के कारण उन्हें विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ा। इससे खाली हुई बाेचहां सीट पर सितंबर 2009 में उप चुनाव हुए। वे जदयू से मैदान में उतरे, लेकिन राजद के प्रत्याशी रहे मुसाफिर पासवान से शिकस्त खानी पड़ी। हालांकि, छह माह बाद 2010 में हुए विस चुनाव में जीत हासिल की।
1972 से कई पार्टियाें में रहे, लेकिन लंबा समय लालू प्रसाद के साथ बीता
वरिष्ठ समाजवादी नेता रमई राम ने अपने राजनीतिक कार्यकाल में कई पार्टियाें काे बदला। लेकिन, लंबा साथ राजद और पार्टी सुप्रीमाे लालू प्रसाद के साथ बीता। 1972 में एचएसडी, 1980 में जेएनपी जेपी, 1985 में एलकेडी, 1990 से 1995 तक जनता दल, 2000 से 2005 तक राजद से विस चुनाव जीते। सितंबर 2009 में कांग्रेस के िटकट पर गाेपालगंज सीट से लाेकसभा चुनाव लड़े। हार हाेने पर जल्द ही जदयू का तीर थाम 2010 का चुनाव जीते। 2015 के बाद से फिर राजद का दामन थाम लिया। इस साल उन्हाेंने VIP ज्वाइन कर ली थी।
रमई राम की राजनीतिक यात्रा
वर्ष पार्टी नतीजा
1972 एचएसडी जीते
1980 जेएनपी जेपी जीते
1985 एलकेडी जीते
1990 जनता दल जीते
1995 जनता दल जीते
2000 राजद जीते
2005 राजद जीते
2009 जदयू हारे
2010 जदयू जीते
2015 महागठबंधन हारे
2020 राजद हारे
Source : Dainik Bhaskar