शहर में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे मुक्तिधाम में दो विद्युत व चार लकड़ी शवदाह गृह बनेंगे। इसपर 8.87 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण की जिम्मेवारी बुडको को सौंपी गई है। आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 के तहत जिला मुख्यालय व महत्वपूर्ण नदी घाटों पर विद्युत शवदाह गृह व मोक्षधाम बनना है।

इसी के तहत मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र में आधा दर्जन शवदाह गृहों से जुड़ी योजना की स्वीकृति मिली है। लकड़ी शवदाह गृह इको फ्रेंडली होगा। सामान्य स्थिति में एक शव की अंत्येष्टि में नौ मन लकड़ी लगती है। इसमें दो-ढाई मन लकड़ी की ही जरूरत होगी। समय भी कम लगेगा। शवदाह गृहों के निर्माण के लिए नगर विकास व आवास विभाग ने तत्काल करीब 25 प्रतिशत राशि का आवंटन किया है।

मुक्तिधाम में एकमात्र लकड़ी शवदाह गृह शहर में अभी विद्युत शवदाह गृह नहीं है। सिकंदरपुर स्थित मुक्तिधाम में एकमात्र लकड़ी शवदाह गृह है। इसके अलावा सात प्लेटफॉर्म है, जहां सामान्य तरीके से लकड़ी से अंत्येष्टि होती है। मुक्तिधाम प्रभारी दीपक कुमार के मुताबिक हर माह औसतन 150 से 160 शवों की अंत्येष्टि होती है।

पर्यावरण के लिहाज से बेहतर

पर्यावरण विशेषज्ञ सुरेश गुप्ता के मुताबिक विद्युत शवदाह गृह से काफी कम कॉर्बन डाईऑक्साइड गैस निकलती है। लकड़ी से काफी धुआं निकलता है। इससे वायु प्रदूषण होता है। विद्युत शवदाह गृह होने पर पेड़ों के साथ ही पर्यावरण का भी संरक्षण होगा।

इको फ्रेंडली छह शवदाह गृह बनेंगे। बिजली के अलावा विशेष तकनीक से संचालित लकड़ी शवदाह गृह में अंत्यष्टि में कम लकड़ी लगेगी। इससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा।

– मो. अबुल कलाम आजाद, कार्यपालक अभियंता, नगर निगम/बुडको।

विद्युत शवदाह गृह और मोक्षधाम निर्माण से जुड़ी योजना की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। साथ ही विभाग से तत्काल 2.21 करोड़ की राशि आवंटित कर दी गई है।

– नवीन कुमार, नगर आयुक्त।

Source : Hindustan

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Pooja

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