कटिहार. जिस दौर में इंसान ही इंसान का दुश्मन हो उस दौर में जानवरों (Cattles) की सेवा का जुनून रिटायर्ड फौजी (Retired army man) उमेश को भीड़ से अलग करता है. लगभग 17 साल भारतीय सेना में नौकरी पूरी करने के बाद सेवानिवृत होकर अपने गांव मनिहारी (Manihari) लौटे उमेश सामजिक कार्य में जुटे हुए हैं. इनमें सबसे खास है आवारा पशुओं की सेवा.

Katihar

दरअसल उमेश अपने साथियों के साथ मिल कर बीमार पशुओं का इलाज और उसकी सेवा बिलकुल फ्री में करते हैं. खास कर दियारा क्षेत्र में पशुओं में होने वाली खुरहा नामक गंभीर बीमारी का स्वयं ही इलाज़ करते हैं. जरूरत के हिसाब से सुई और दवा भी देते हैं.

पहले तो समाज से उन्हें ताना मिलता था पर अब कुछ लोगों की शाबाशी और सहयोग से उमेश को सेवा करने में और हौसला बढ़ा है. मनिहारी सिंग्नल टोला के बेचन सिंह कहते हैं, अब हालात ऐसे हैं कि वो लोग अपने आस पास किसी बीमार पशु को देखने से इसकी सूचना उमेश को देते हैं और वह मवेशियों का मसीहा बन कर इलाज कर देते हैं.

समाजिक कार्यकर्ता आलमगीर कहते हैं, वह तो ‘रॉबिनहुड’ है. अब हमलोग भी उमेश के सेवा भाव को देखते हुए उन्हें सहयोग करने के लिए तत्पर रहते हैं. सच में यह फौजी उन आवारा पशुओं के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं जो गंभीर बीमारी की चपेट में आने के बाद भी इलाज के लिए तड़पते रहते हैं.

बहरहाल उमेश एक बड़ा उदहारण इस मायने में भी पेश कर रहे हैं कि जिस दौर में इंसान ही इंसानों का दुश्मन हो गया हो. उस दौर में कोई जानवरों की भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करे, तो यह इंसानियत के लिए मिसाल ही है.

Input : News18

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