बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने अधर में लटके 350 शोधार्थियों को पीएचडी करने का मौका दिया है। इस संबंध में दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के बाद बीआरए बिहार विवि ने संज्ञान लिया। इसके लिए एग्जामिनेशन बोर्ड की बैठक बुलाई गई और निर्णय छात्रों के पक्ष में लिया गया। यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन 2009 को राजभवन ने 6 नवंबर 2012 को मंजूरी दी। निर्देश हुआ कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। अब समस्या यह हुई कि 6 नवंबर के पूर्व के करीब 350 शोधार्थियों की सूची को विवि ने बैक डेट में डाल दिया।

उनके पंजीयन व क्लास वर्ग को मंजूरी नहीं दी। वे आज तक अपनी पीएचडी को विभागों में जमा करने का इंतजार कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि नये रेगुलेशन लागू होने के बाद पीआरटी परीक्षा देने वाले छात्रों का क्लास वर्ग भी हो गया और उनको शोध प्रबंध जमा करने की तिथि भी निर्धारित हो गई। लेकिन, बैक डेट के चक्कर में फंसे शोधार्थियों का भविष्य अभी तक तय नहीं हो पाया। जबकि, पीएचडी रेगुलेशन 2009 में स्पष्ट है कि क्लास वर्ग करने के दो साल में शोधार्थी को अपनी पीएचडी जमा कर देनी है।

तुर्रा यह है कि पिछले साल पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च कमेटी की बैठक में यह तय हो गया कि पूर्व के शोधार्थियों को भी इस रेगुलेशन का लाभ मिल जाएगा। उनको फिर से आवेदन करना होगा। लेकिन, एक साल से इस आदेश का पालन नहीं हो पाया।

ऐसे खुला रास्ता

6 जून 2012 या उसके बाद जिन शोधार्थियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था और क्लास वर्ग की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर प्रमाणपत्र प्राप्त कर चुके हैं, उनका रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र प्राप्त करने का दिन मान लिया जाएगा। वे 2 साल बाद अपनी पीएचडी पीजीआरसी में जमा कर सकते हैं। वहीं, जो छात्र क्लास वर्ग में सफल नहीं हुए। उनको यह मौका नहीं मिलेगा।

Input : Dainik Jagran

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