नई दिल्ली: चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में डिप्टी स्पीकर के पद और NEET मुद्दे को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस जारी है। इस बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इन मुद्दों को लेकर कड़ा प्रहार किया है।

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह आम सहमति के मूल्य की बात करते हैं, लेकिन व्यवहार में टकराव को बढ़ावा देते हैं। ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अब तक लोकसभा चुनाव के नतीजों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं, जिसमें एनडीए मुश्किल से सरकार बना पाई है।

सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि परंपरा के अनुसार लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से उचित अनुरोध था लेकिन सरकार ने इसे ठुकरा दिया है।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 17वीं लोकसभा में भी उपाध्यक्ष का पद खाली था।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आपातकाल का मुद्दा उठाए जाने पर सोनिया गांधी ने कहा कि यह ध्यान भटकाने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि स्पीकर ने भी इस मुद्दे को उठाया, जबकि उनसे निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है।”

NEET पेपर लीक के मुद्दे पर भी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जो ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं, वे लीक पर पूरी तरह से चुप हैं, जिसने देश भर में इतने सारे परिवारों को तबाह कर दिया है।”

मणिपुर में चल रहे संघर्ष को लेकर भी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की। उन्होंने लिखा, “इस सबसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव बिखर गया है। फिर भी, प्रधानमंत्री को न तो राज्य का दौरा करने और न ही यहां के नेताओं से मिलने का समय मिला है और न ही इच्छा।”

संसद के इस सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच यह तीखी नोकझोंक देश के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर कर रही है, जिनका समाधान जल्द से जल्द होना आवश्यक है।

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