बिहार की धरती पर ही शून्य की खोज करने वाले आर्यभट्ट और Computer से भी तेज गिनती गिनने के साथ आइंस्टीन के फॉमूले को भी चुनौ’ती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह पैदा हुए। जी हां, आर्यभट्ट तो अब इस धरती पर नहीं है, लेकिन नारायण सिंह आज भी पटना की तंग गलियों में गुमनामी की जिन्दगी जी रहे हैं।
वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मून/ओपोले मिशन के दौरान नासा में ही थे। जब ओपोले मिशन शुरु किया गया तो अचानक किसी कारणवश गिनती करने वाला कम्प्यूटर बंद हो गया। इसी बारे में कहा जाता है कि नारायण सिंह ने अपने दिमाग और उंगलियों पर गिनती करने लगे। इतना ही नहीं, जब कम्प्यूटर सही हुआ और उनकी गिनती को मिलाया गया तो उसे बिल्कुल सही माना गया। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो नहीं पता क्योंकि ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है, लेकिन अगर इसमें थोड़ी भी सच्चाई है, तो यह बिहारवासियों के लिए गर्व की बात है।
कहा जाता है कि वे पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते थे, उसी दौरान अमेरिका के एक व्यक्ति ने उनकी प्रतिभा देखकर अमेरिका ले गया। वहां उन्होंने 1969 में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया से Reproducing Kernels and Operators with a Cyclic Vector विषय पर PhD की उपाधि प्राप्त की। इतना ही नहीं, इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें NASA ने Associate Scientist Professor का पद देकर गरिमामय जीवन और देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका दे दिया।
मां-बाप के लिए प्यार छोड़ा-
कहा जाता है कि वे एक अमेरिकी लड़की से प्यार करते थे, लेकिन जब वे घर आये तो उनकी शादी का मंडप तैयार था। वे माता-पिता के चेहरे पर खुशी देखकर उस शादी से इंकार नहीं कर पायें। इसके कारण अपने प्यार को अमेरिका में ही भूला दिया। उनकी शादी 1971 में हुई, लेकिन यह भी कामयाब नहीं रही क्योंकि वे एक गंभीर मानसिक बीमारी सीजोफ्रेनिया के शिकार हो गये, जिसके कारण उनकी पत्नी, उन्हें छोड़कर चली गयी।
1972 में भारत वापस आकर IIT कानपुर में कुछ दिन पढ़ाए, लेकिन मानसिक बीमारी के कारण रांची के कांके मानसिक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। यहां से वे 1988 में बिना बताये कहीं चले गये। काफी लंबे समय के बाद बिहार के सीवान में 1992 में दयनीय स्थिति मिले। इसके बाद घर वालों ने उन्हें घर ले गया। हालांकि डॉक्टर ने उन्हें ईलाज के लिए अमेरिका ले जाने को कहा, लेकिन पैसे के अभाव में वे आज भी पटना की तंग गलियों में अपनी बीमारी के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं।
कौन है विशिष्ठ नारायण-
नारायण का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपूर जिले के बसंतपुर गाँव हुआ। उनकी बचपन की पढ़ाई नेतरहाट विद्यालय से हुई। वे दशमी और इंटर की परीक्षा में लगातार टॉप किया। उसके बाद पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरु की। कहा जाता है कि शिक्षक भी इनके प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाते थे। आपको बता दें कि इनकी जिन्दगी के बारे में एक बहुत ही दिलचस्प मूवी बनने जा रहा है।
Input : Live Bihar