पश्चिम चंपारण। चंपारण का नाम सुनते ही जो चीजें आंखों के सामने आती हैं,  वे हैं, भारत का स्वतंत्रता आंदोलन, महात्मा गांधी और युवाओं का चंपारण सत्याग्रह। तात्पर्य यह कि क्षेत्र की छवि हमेशा सकारात्मक और देश को दिशा दिखाने वाली रही है। लेकिन, हाल में यहां के युवाओं की गतिविधियों ने निराश किया है।

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यूं तो रक्सौल – नरकटियागंज रेलखंड के मरजदवा के पास करताहा नदी रेल पुल पर भेड़िहारी गांव के युवा जो कर रहे हैं वह सामान्य सी बात है। इस तरह की तस्वीरें देश के कई और हिस्सों से समय समय पर आती रहती हैं। परंतु, इसका चिंताजनक पहलू यह है कि हमारे युवा क्या कर रहे हैं? पूरा देश जब कोरोना महामारी और इसकी वजह से तबाह हो रही अर्थव्यवस्था से मुकाबला रहा है तो ये युवा अपनी ऊर्जा उन चीजों में लगा रहे, जिसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आने वाला है।

यदि ट्रेन के आगे छलांग लगाने से चूक गए तो जो होगा, उसके बारे में सोचना ही डर पैदा करता है। यह समाज के रवैये को भी दिखाता है। यदि इसकी वजह से कभी हादसा हो जाए तो समाज के सौ लोग सड़क जाम कर सरकार और व्यवस्था के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। अभी इनको मना करने या समझाने के लिए किसी के पास समय नहीं है।

इस वीडियो में एक और निराश करने वाली बात दिख रही है। ये युवा ट्रेन के चालक को कुछ कहते हैं, कुछ ऐसा, जो उन्हें हतोत्साहित करने वाला है। ट्रेन के चालक कोरोना वॉरियर्स हैं। वे अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों को और सामान  को देश के एक हिस्से से दूसरे में ले जा रहे हैं। ऐसे में इनका सम्मान करना हमार कर्तव्य बनता है। यदि ऐसा नहीं कर पा रहे तो कम से कम उन्हें हतोत्साहित तो नहीं ही करें। जिससे वे अपनी सेवा जारी रख सकें।

Input : Dainik Jaran

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