गोपालगंज. जिनके सुख के लिए ताउम्र कष्ट झेलते रहे. जन्म देने के दौरान मां मर कर बची. बेटे को चलना सिखाया. दिन- रात अपने सपनों को छोड़कर बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया. बेटा को काबिल बनाया. घर-गृहस्थी बसायी. अब जीवन की सांझ (बुजुर्ग होने पर) में उसी बेटे ने मां-बाप को घर से निकाल कर पराया कर दिया. पिछले पांच दिनों से मां-बाप जादोपुर-मंगलपुर पुल के पास सड़क के किनारे दो मीटर के पॉलीथिन के नीचे आंसुओं की सैलाब में डूबे हैं.

बुजुर्ग पिता की बूढ़ी हड्डियां काम करने के लायक नहीं बची हैं. एक तो रोग और दूसरा अपनों से मिले जख्म उनके आंखों से आंसू बनकर झर-झर गिर रहे. पांच दिनों से उनको भोजन तक नसीब नहीं हुए थे. पति के पास बैठी बुजुर्ग महिला की जुबान नहीं खुल रही सिर्फ आंखों से आंसू निकल रहे. कभी उसने सोचा तक नहीं होगा कि उनको यह दिन भी देखना पड़ सकता है. यह हालात समाज को झकझोरने वाली है. इनकी दशा को देख मानवता कांप उठती है.

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जादोपुर थाने के विशुनपुर कुट्टी के रहने वाले दरोगा सहनी व उनकी पत्नी बुचिया देवी को उनके पुत्र भीखम सहनी व बहू ने बेरहमी से घर से निकाल दिया. बेटे को डर था कि जो बीमारी (कुष्ट रोग) पिता को हुई है अगर घर-परिवार के बीच रहे तो पूरे परिवार को हो जायेगा. बुजुर्ग का इलाज कराने के बदले उन्हें घर से निकाल दिया. दंपति ने पहले तो स्कूल में रहकर 10-15 दिनों तक गुजारा किया. जब स्कूल खुला तो सड़क के किनारे 40 डिग्री धूप की तपिश, कभी तेज हवा, कभी बारिश के बीच दो मीटर पॉलीथिन के नीचे रहने को मजबूर है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मां-बाप को मरने के लिए बेटा-बहू ने छोड़ा

बेटे-बहू ने अपने मां-बाप को मरने के लिए सड़क के किनारे छोड़ दिया है कि दाने-दाने के लिए तड़प-तड़प कर मर जाये. अपनों के मुंह मोड़ लेने के बाद दंपती को अब समाज से सहारे की उम्मीद है. मगर बेटे-बहू को यह भी पसंद नहीं. गांव के के कुछ लोग बुजुर्ग व लाचार दंपती को खाना-पानी देने के लिए ले जा रहे तो उनको बेटा भीखम सहनी व उनकी पत्नी गाली दे रहे. मां-बाप को सहयोग करने वाले को देखते ही गाली देते हैं. जिससे ग्रामीण सहयोग करने में लाचार हैं. प्रशासन के स्तर पर ग्रामीण सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं.

कुष्ट लाइलाज बीमारी नहीं

सीएस सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि कुष्ट रोग लाइलाज बीमारी नहीं है. कुष्ट का इलाज संभव है. पीड़ित व्यक्ति को कोई अस्पताल लाये तो उनका नि:शुल्क इलाज किया जायेगा. इलाज से बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है. घर से निकालने के बदले उनका इलाज जरूरी थी. दवा लेने वाले मरीज के संपर्क में रहने से संक्रमण का खतरा नहीं होता. जो दवा नहीं लेते वैसे कुष्ट रोगी के साथ लंबे अवधि तक रहने वाले को ही कुष्ट हो सकता है.

Source : News18

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