देवी मां के दरबार तक पहुंचने के लिए पहले छह किलोमीटर पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ता था। इस क्रम में तीन नदियों को भी पार करना पड़ता था। मार्ग दुर्गम था और सफर में असह्य कष्ट। बरसात में उफनाती नदियों के कारण मां के दरबार में हाजिरी लगाने से श्रद्धालु वंचित हो रहे थे।
नदी पर पुल का निर्माण ग्रामीणों के बूते से बाहर था। लेकिन ग्रामीणों ने माउंटेन मैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर पहाड़ का सीना चीरकर आस्था की राह निकाल दी। पहाड़ काटकर बनाई गई ढाई किमी लंबी इस सड़क से न केवल दूरी कम हुई है, बल्कि श्रद्धालु वाहनों से मां के दरबार तक आसानी से पहुंच रहे हैं।
सासाराम से लगभग 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर तुतलेश्वरी भवानी का दरबार सजा है। ग्रामीणों की बोलचाल में उसे ‘तुतला भवानी’ कही जाती हैं। तिलौथू प्रखंड में अवस्थित मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा मनोरम है। महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा तुतराही जलप्रपात के मध्य में स्थापित है।
मंदिर तक सुगम मार्ग के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों तक गुहार लगाकर ग्रामीण थक गए थे। अंतत: माउंटेन मैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर वे जुट गए। चार दर्जन से अधिक ग्रामीण श्रमदान करने लगे। दिन-रात के परिश्रम के बाद दो साल में ढाई किलोमीटर सड़क बनकर तैयार हो गई। अब ग्रामीणों की इस आस्था को सांसद छेदी पासवान नमनीय बता रहे हैं। वे आश्वासन दे रहे हैं कि पक्की सड़क के निर्माण में हर संभव सहायता करेंगे।
ग्रामीणों ने तुतलाधाम विकास समिति का गठन कर मंदिर के विकास की योजना बनाई। अधिक से अधिक श्रद्धालु पहुंचें, इसके लिए सुगम रास्ता बनाने पर बल दिया। कमेटी के अध्यक्ष गुरुचरण यादव, डॉ. उपेंद्र सिंह, वसंत सिंह, पिंटू सिंह, अनिल सिंह समेत अन्य ने कहा कि सड़क निर्माण में कई बाधाएं आई, लेकिन सदस्य विचलित नहीं हुए।
Input : Dainik Jagran