जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी, इसका हिन्दी अर्थ है, जन्म देने वाली जन्म भूमि स्वर्ग से भी महान है, लॉकडाउन के विषम परिस्थितियों में जब बिहार के मजदूर रेल से मुजफ्फरपुर पहुँचे तो उन्हें इसका एहसास हुआ औऱ भावविभोर करने वाला वो दृश्य सामने आया, स्टेसन से बाहर निकलते ही श्रमिकों ने नतमस्तक हो कर बिहार की मिट्टी को चूमा, बेरोजगारी और जरूरतों को पूरा करने जब बिहार से कोई बाहर कमाने जाता है तो उसका शरीर भले परदेश में होता है लेकिन दिल और आत्मा बसती है बिहार में अपने गांव में.

जननी जन्म भूमि का महत्व उनसे बेहतर कोई नही समझ सकता जो तंग हालात में अन्य राज्यों में फंसे है, जब मजदूर मुजफ्फरपुर पहुँचे तो शायद उसी तंगहाली को याद कर जमीन पर लेट गए और सुकून से अपने जन्म भूमि को चूमने लगे.

प्रभु श्री राम जब वनवास के लिये अयोध्या से जंगल गए तो वो अपने साथ अयोध्या की मिट्टी लेकर गये जिस मिट्टी को भगवान राम रोज पूजते, मनुष्य के जीवन मे उसके जन्म भूमि का महत्व बहुत अधिक है, रोटी की भूख इंसान को सारी दुनिया की धक्का खिला देती है लेक़िन जो सुकून चैन जन्मभूमि में है शायद वह स्वर्ग में भी नहीं, इसलिये श्लोकों मे भी कहा गया है , जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.

हृदय को झकझोरने वाला ये तस्वीर जिसके सामने भी आए उसके मन प्रफुल्लित हो गए, जन्म भूमि को छोड़ कर लाखों बिहारियों को पलायन करना पड़ता है, सोचिये किस कष्ट में ये लोग अपने गांव, मिट्टी खेत खलिहान को छोड़ दिल पर पत्थर रख परदेस में कमाने जाते है.

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अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...