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भोजपुरी फिल्मों के सारे स्टार बीजेपी के साथ, भोजपुरी के साथ कौन? लोकसभा चुनाव 2019
भोजपुरी की पहली फ़िल्म “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो” साल 1963 में आयी थी. फ़िल्म के निर्माण का श्रेय भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को जाता है. गीतकार थे शैलेंद्र. गायक मोहम्मद रफी. फ़िल्म का एक गीत इस तरह शुरू होता है.
“सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम
चिरई के जियरा उदास
टूट गइल डलिया, छितर गइल खोतवा
छूट गइल नील रे आकाश…”
(हिंदी में- सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया का मन उदास है. सोच रही है कैसे डाली टूट जाने से उसका घोंसला उजड़ गया. नीला आकाश छूट गया”)
इधर साल 2019 में दिनेश लाल यादव “निरहुआ” की एक फ़िल्म आयी थी. “निरहुआ चलल लंदन”. गीतकार आजाद सिंह है. गायक खुद निरहुआ. इस फ़िल्म का एक गीत इस तरह शुरू होता है…
भोजपुरी दुल्हा, दुल्हिन विदेशी
मड़ई के लइका के मिल जाई एसी
मिली जे दहेजवा में विदेशी पलंग
करी चोंय, चोंय, चोंय, चोंय
(हिंदी में – पलंग के लचकने की आवाज निकालते हुए गायक कहता है, “अगर भोजपुरी दुल्हे को विदेशी दुल्हिन मिल जाए तो दहेज में उसी विदेशी पलंग भी मिलेगा. जो खूब लचकेगा.”)
सारे भोजपुरी फ़िल्म स्टार बीजेपी के साथ ही क्यों खड़े हैं?
ऊपर के दोनों गीत भोजपुरी की पहली फ़िल्म आने से लेकर अब तक यानी 56 सालों बाद भोजपुरी सिनेमा में आए फर्क को बताते हैं. फर्क किस तरह का हुआ है, यह दोनों गीतों के बोल और हिंदी में लिखे उसके मतलब को पढ़ कर समझ में आ गया होगा.
बाकी आज की भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री भी दूसरी इंडस्ट्रियों की तरह यूट्यूब, फ़ेसबुक और इस्टाग्राम पर एक्टिव है. ज़्यादा फर्क समझने के लिए देख सकते हैं.
कहा जाता है कि “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो” देश के प्रथम राष्ट्रपति की सोच और प्रेरणा से बनी थी क्योंकि वे खुद भोजपुरी भाषी क्षेत्र (जिरादेई, सिवान) से थे और भोजपुरी से उन्हें प्रेम था. वहीं “निरहुआ चलल लंदन” विशुद्ध रूप से निरहुआ की फ़िल्म है, जिन्हें इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आजमगढ़ सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है.
इस तरह भारत की राष्ट्रपति की प्रेरणा से शुरू हुआ भोजपुरी फ़िल्मों का कारवां निरहुआ पर आ गया है. मनोज तिवारी “मृदुल”, रवि किशन, पवन सिंह और खेसारी लाल यादव मौजूदा भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री के दूसरे बड़े नाम हैं. और ये सारे बड़े नाम इस लोकसभा चुनाव में निरहुआ की तरह ही या तो बीजेपी के पक्ष में खड़े हैं या बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं.
हालांकि यह एक अलग सवाल हो सकता है कि सारे भोजपुरी फ़िल्म स्टार बीजेपी के साथ ही क्यों खड़े हैं? लेकिन उससे पहले सवाल यह उठता है उसी भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री के स्टार राजनीति में आकर “भोजपुरी” के लिए क्या करेंगे जिस इंडस्ट्री पर बतौर भाषा भोजपुरी को बदनाम करने और फूहड़ बनाने का आरोप लगता आया है!
लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनने से पहले फरवरी में फ़ेसबुक पर लाइव आकर निरहुआ ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्होंने और उनके समकालीन स्टार्स ने भोजपुरी को गंदा किया है. उसमें अश्लीलता, द्विअर्थी शब्द और फूहड़ता परोसा है.
बकौल निरहुआ, “भोजपुरी के बदनामी और उसमें अश्लीलता के ज़िम्मेदार हम हैं. इसे स्वीकार करने में हमें कोई गुरेज नहीं है. लेकिन हमें ही इसे ठीक भी करना होगा. इसे लेकर मैंने मनोज भैया (मनोज तिवारी) से बात की है. उन्होंने कहा है कि किसी ना किसी को पहल लेने की ज़रूरत है. इसलिए मैं पहल ले रहा हूं. आज के बाद ऐसे गाने नहीं गाउंगा, ऐसी फ़िल्में नहीं करूंगा.”
इंटरनेट पर कैसी भोजपुरी?
निरहुआ की बात पर वरिष्ठ पत्रकार निराला बिदेशिया कहते हैं, “और जो कर दिया उसका क्या? क्या अब वो इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है! आप गूगल करिए, चाहे यूट्यूब पर देखिए. भोजपुरी लिखकर सर्च करने पर सबकुछ दिख जाता है. यदि इन्हें भोजपुरी की इतनी ही फिक्र है तो पहले वो सब हटाएं/हटवाएं. क्या ऐसा नहीं हो सकता?”
आखिरी चरण के चुनाव के लिए अपनी पार्टी के पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के उम्मीदवार रामकृपाल यादव के पक्ष में रोड शो करने पहुंचे निरहुआ से हमने ये सवाल किया.
जिस तरह उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने किए के लिए माफ़ी मांगी है क्या वे ज़िम्मेदारी दिखाते हुए इंटरनेट पर मौजूद अपने सारे कथित रूप से अश्लील और द्विअर्थी कंटेंट हटाएंगे? दिनेश लाल यादव कहते हैं, “अगर ऐसा संभव है तो क्यों नहीं! लेकिन हमें पिछली बातों को भुलाकर नए सिरे से अच्छा काम करने की ज़रूरत है. मैंने शपथ ली है कि अब से वैसी फ़िल्में नहीं करूंगा.”
यही सवाल जब गोरखपुर से बीजेपी के प्रत्याशी और भोजपुरी स्टार रवि किशन से हमने पूछा तो उनका कहना था, “हम इसी के लिए राजनीति में आए हैं. भोजपुरी को लेकर हमें बहुत सारे काम करने हैं. मैंने पहले से सोच कर रखा है. मुझे ज़िम्मेदारी मिलने दीजिए.”
निरहुआ पहली बार और रविकिशन दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन एक और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी “मृदुल” उत्तर पूर्वी दिल्ली से 15वीं लोकसभा के सांसद हैं और इस वक्त दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. मनोज तिवारी ने सांसद बनने के बाद भोजपुरी के लिए क्या किया?
निराला कहते हैं, “सिवाए इसके कि केवल मंचो से घोषणाएं करना कि हम भोजपुरी को बतौर भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं” बाकी कुछ नहीं किया. और जहां तक बात आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की है तो एक लॉलीपॉप जैसा है. जो चुनावों से पहले हर बार दिया जाता है.”
यू ट्यूब सर्च करने पर एक भाषण दिख जाता है. 2017 में वाराणसी में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान जब देश-विदेश के भोजपुरी भाषी लोगों का जमावड़ा लगा था, तब मनोज तिवारी ने मंच से यह ऐलान किया था कि वे भोजपुरी को आठवीं अनुसूची की भाषा का दर्जा दिलाकर रहेंगे.
भोजपुरी कैसे बनेगी आठवीं अनुसूची की भाषा?
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है. जब संविधान बना था तब इसमें 14 भारतीय भाषाओं को रखा गया था. बाद के वर्षों में मांग उठने पर कई बार इसमें नई भाषाएं जोड़ी गईं. मौजूदा समय में कुल 22 भाषाएं आठवी अनुसूची में शामिल हैं. लेकिन 38 भाषाएं अभी ऐसी हैं जिन्हें आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठती रहती है. भोजपुरी भाषा भी उनमें एक है.
निराला बिदेशिया कहते हैं, “मुझे तो ये नहीं समझ आता कि किस मुंह से ये लोग भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की बात करते हैं. एक अदद शोध अथवा शिक्षण संस्थान संस्थान तो नहीं दे सके आज तक. जहां था वहां से भी ख़त्म कर दिया. और जहां तक बात आठवीं अनुसूची में शामिल करने की है तो भोजपुरी शुरू से वो भाषा रही है जिसे कभी राज्याश्रय नहीं मिला. हालांकि, व्यक्तिगत तौर पर लोगों ने इसके लिए काफी प्रयास किए. सरकारों और राज्य की संस्थाओं ने इसे अपने यहां कभी प्रश्रय नहीं दिया.”
निराला आगे कहते हैं “आज़ादी के बाद राजेन्द्र प्रसाद, जगजीवन राम जैसे नेता हुए जो भोजपुरी को लेकर मुखर थे. बाद में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भी कई मौकों पर भोजपुरी को लेकर आवाज उठायी. लेकिन उसके बाद ऐसा नहीं हो सका. भोजपुरी सिनेमा की वर्तमान स्थिति को हम इस तरह कह सकते हैं कि पहले के समय में राजनेता भोजपुरी फ़िल्म को लेकर सोचते थे, अब भोजपुरी फ़िल्म स्टार्स राजनीति में अपना करियर देख रहे हैं. जमाना पॉपुलर पॉलिटिक्स का है. अगले विधानसभा चुनाव में पवन सिंह और खेसारी लाल भी उम्मीदवार बनाए जाएं तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.”
भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 51 मिलियन लोग की मातृभाषा भोजपुरी है. लेकिन भोजपुरी का शिक्षण अथवा शोध संस्थान कहीं नहीं है.
जहां पढ़ाई होती थी, वहां भी बंद हो गई
1992 में आरा, भोजपुर में स्थापित हुए वीरकुंवर सिंह विश्वविद्यालय में भोजपुरी की पढ़ाई शुरू की गई थी. एक अलग से विभाग बनाया गया था. वहां के रिकॉर्ड्स के मुताबिक अभी तक कुल 2500 छात्रों ने वहां से पीजी की परीक्षा पास की है. कईयों ने पीएचडी भी किया है. लेकिन पांच अगस्त 2016 को राजभवन से आयी एक चिट्ठी में इस बात का हवाला देते हुए भोजपुरी समेत कुल 14 विभागों की पढ़ाई रोक दी गई क्योंकि वे मान्यता प्राप्त नहीं थे. तब से वहां भी भोजपुरी की पढ़ाई बंद हो गई.
बाद में भोजपुरी की पढ़ाई फिर से शुरू कराने के लिए छात्रों, अध्यापकों और विभिन्न संस्थाओं ने मिलकर आंदोलन किया. उस आंदोलन के हिस्सा रहे यूनिवर्सिटी के एक छात्र ओपी पांडेय कहते हैं, “करीब तीन साल चले आंदोलन के बाद राजभवन ने तो भोजपुरी की पढ़ाई की मान्यता दे दी है, मगर अभी हालात ऐसे हैं कि ना तो विभाग के पास खुद का कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर है और ना ही शिक्षक. एक बार फिर से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू तो हो गई है, मगर राज्य सरकार ने फंड की असमर्थता जताते हुए अपने हाथ खड़े कर लिए हैं.”
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के प्रध्यापक रहे डॉ शिव शंकर सहाय कहते हैं, “जब तक भोजपुरी में पढ़ाई लिखाई नहीं होगी, शोध नहीं होगा, उसका अपना व्याकरण निश्चित नहीं होगा तब तक उसे भाषा के रूप में कैसे दर्जा मिल पाएगा. राज्य सरकार इसे लेकर उदासीन है. नया को तो इतने दिनों में कुछ नहीं बना, जो था उसको भी चला पाने में असमर्थ है. छात्र एडमिशन तो ले रहे हैं, मगर उन्हें नहीं पता कि यूनिवर्सिटी की डिग्री भी मिल पाएगी या नहीं.”
अब आख़िर में सवाल यह कि बीजेपी के पक्ष में खड़े भोजपुरी फ़िल्म स्टार भोजपुरी के लिए कुछ करेंगे? इसका जवाब 23 मई के बाद ही मिल पाएगा जब चुनाव के परिणाम घोषित होंगे. लेकिन एक बात जो चर्चा में है वो ये कि भोजपुरी के सारे स्टार्स बीजेपी के पक्ष में क्यों है?
निराला बिदेशिया कहते हैं, “क्योंकि मौजूदा समय की भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री कहीं न कहीं बीजेपी के विचारों से मेल खाती है. दोनों जगह पुरुषवादी सोच हावी है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि आज की भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री के पास अपनी कोई भोजपुरी भाषी नायिका तक नहीं है. जो नायिकाएं हैं वो कहां से आयी हैं और क्या भूमिका निभा रही हैं, हम आप सब जानते हैं.
Input : BBC Hindi
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पटना: रूह कंपा देगा टीचर की पिटाई का वीडियो, पिटते हुए बेहोश हुआ छात्र, केस दर्ज

बिहार की राजधानी पटना में एक टीचर ने 5 साल के छात्र को बेरहमी से पीटा। कोचिंग क्लास में पढ़ाई ना करने पर शिक्षक ने बच्चे को पहले डंडे से मारा। मारते-मारते डंडा टूट गया तो उसे पलट कर दूसरी तरफ से मारा। इसके बाद लात-घूंसे भी बरसाए। पिटाई के दौरान बच्चा जमीन पर गिर गया, लेकिन टीचर का दिल नहीं पसीजा। वह उसे लात-घूंसे- थप्पड़ से लगातार पीटता रहा। इस दौरान बच्चा चीखता रहा और छोड़ने की मिन्नतें करता रहा। लेकिन टीचर नहीं माना, उसने इतना मारा कि बच्चा बेहोश हो गया। इस पूरी घटना का वीडियो सामने आया है।
ये वीडियो देखकर दिल दहल गया. कोई शिक्षक 5 साल के बच्चे को इतनी बेरहमी से कैसे मार सकता है!
पटना के मसौढ़ी के एक कोचिंग में इस हैवान शिक्षक की पिटाई से मासूम बेहोश हो गया. बच्चे के बेहोश होने की जानकारी मिलते ही आक्रोशित ग्रामीणों ने कोचिंग के शिक्षक छोटू की भी जमकर पिटाई कर दी. pic.twitter.com/J67McNznaW
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) July 3, 2022
यह मामला बिहार की राजधानी पटना में धनरूआ के वीर ओरियारा के जया क्लासेस कोचिंग संस्थान का है। जहां पर मासूम को बेरहमी से पीटा गया है। फिलहाल बच्चे का इलाज जारी है और टीचर फरार है।
बच्चे के बेहोश होने की जानकारी मिलते ही आक्रोशित ग्रामीणों ने कोचिंग के शिक्षक छोटू की भी जमकर धुनाई कर दी। कोचिंग के संचालक अमरकांत कुमार का कहना है कि छोटू नामक शिक्षक हमारे कोचिंग संस्थान में पढ़ाते हैं। उनको ब्लड प्रेशर की बीमारी थी। उन्होंने जो किया वो पूरी तरह गलत है। पिटाई करने वाले शिक्षक को कोचिंग से बाहर कर दिया गया है। बच्चे का इलाज अस्पताल में चल रहा है।
इस मामले में धनरूआ थाना प्रभारी ने बताया कि वीडियो वायरल की सूचना उन्हें मिली है। जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि वीडियो शनिवार का है। जहां कोचिंग में बच्चे की पिटाई की गई है। थाना प्रभारी ने बताया कि फिलहाल शिक्षक कोचिंग छोड़कर फरार हो गया है।
Source: Live Hindustan
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पटना के राजीव नगर में हुए बवाल मामले में पप्पू यादव के खिलाफ केस दर्ज

बिहार की राजधानी पटना के राजीव नगर इलाके में हुए बवाल मामले में जाप प्रमुख पप्पू यादव के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया गया है। जाप प्रमुख पर धारा 144 का उल्लंघन व सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप है। सोमवार को नेपाली नगर मोड़ पर चक्का जाम कर जेसीबी रोकने की कोशिश हुई थी। एसएसपी ने केस दर्ज होने की पुष्टि की है। वहीं इस मामले में गिरफ्तार 26 आरोपियों को पुलिस जेल भेजेगी। गिरफ्तार आरोपियों में दीघा भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष श्रीनाथ सिंह व सचिव वीरेंद्र सिंह भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि पटना के राजीवनगर इलाके में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई जारी है। रविवार को हुए बवाल को देखते हुए सोमवार को भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। साथ ही इलाके में धारा 144 भी लागू की गई है। पटना प्रशासन 17 जेसीबी मशीन लेकर मकानों को ध्वस्त करने पहुंचा है। इसी बीच पप्पू यादव ने अपने समर्थकों के साथ बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ चक्का जाम भी किया था लेकिन पुलिस टीम ने सभी को खदेड़ दिया।
सोमवार को मौके पर जिला अधिकारी पटना और एसएसपी भी पहुंचे हैं। इनके साथ ही काफी तादाद में प्रशासनिक अधिकारी और पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं। सोमवार सुबह डीएम चंद्रशेखर ने कहा था कि धारा 144 का उल्लघंन करने के आरोप में जाप प्रमुख पप्पू यादव और उनके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
Source : Hindustan
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बिहार के 2 मंत्रियों को हुआ कोरोना, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और जल संसाधन मंत्री संजय झा COVID-19 पॉजिटिव

पटना. इस वक्त की सबसे खबर बिहार की राजधानी पटना से सामने आ रही है. बिहार मंत्रिमंडल के 2 मंत्रियों के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना है. बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री संजय झा COVID-19 संक्रमित पाए गए हैं. बिहार कैबिनेट के 2 वरिष्ठ मंत्रियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अन्य मंत्रियों ने भी कोविड जांच करवाई है. बिहार कैबिनेट के 2 वरिष्ठ मंत्रियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने से हड़कंप मच गया है. दोनों मंत्रियों के संपर्क में आए नेताओं और मंत्रियों के लिए कोरोना जांच कराना जरूरी हो गया है, ताकि संक्रमण के बारे में समय रहते पता चल सके. बता दें कि कोरोना संक्रमण के नए मामलों में एक बार फिर से तेजी देखी जा रही है.
कोरोना वायरस के चलते होने वाले संक्रमण में एक बार फिर से तेजी देखी जा रही है. प्रदेश की राजधानी पटना एक बार से कोविड-19 संक्रमण के लिहाज से बड़ा हॉटस्पॉट बना है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने पटना हवाई अड्डे पर विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया था. इसके बाद एयरपोर्ट पर कोरोना जांच में तेजी लाई गई थी. साथ ही हवाई अड्डा परिसर में किसी के भी बिना मास्क प्रवेश पर रोक लगा दी गई. सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया, ताकि कोरोना के फैलाव पर अंकुश लगाया जा सके. इसके साथ ही हवाई अड्डे पर कोरोना जांच के लिए विशेष जांच टीम को भी तैनात किया गया. यहां पर बूस्टर डोज देने की भी सुविधा है.
बिहार में बढ़ रहे नए कोरोना संक्रमित
बिहार में पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. इससे सरकार के साथ ही प्रशासन के स्तर पर भी सतर्कता बरती जा रही है. प्रदेश में रोजना तकरीबन 200 या उससे ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से सार्वाधिक मामले पटना के होते हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में प्रदेश में कोरोना संक्रमा के 218 नए समाने आए हैं. इनमें से सार्वाधिक मामले राजधानी पटना के हैं. पटना में कोरोना संक्रमण के 60 नए मामले सामने आए. इससे पहले शनिवार को 114 नए कोरोना संक्रमित मिले थे. नए आंकड़े सामने आने के बाद बिहार में कोरोना के कुल सक्रिय मामलों की संख्या 1094 तक पहुंच गई है.
Source : News18
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