बिहार शिक्षा विभाग द्वारा स्कूली छुट्टियों के ताजा कैलेंडर पर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस पर संज्ञान लिया है। आयोग ने बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि धार्मिक आधार पर स्कूली बच्चों की छुट्टियों में भेदभाव क्यों किया जा रहा है। एनसीपीसीआर ने बिहार के मुख्य सचिव से सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।

बिहार के स्कूलों में छुट्टियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव के मुद्दे पर एनसीपीसीआर ने मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को नोटिस जारी कर सभी बच्चों को धार्मिक उत्सव मनाने का समान अवसर उपलब्ध कराने को कहा है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मंगलवार को कहा है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संधि का हस्ताक्षरकर्ता है और उसके तहत बच्चों को दिए गए सहभागिता के अधिकार के संरक्षण की जिम्मेदारी है। बिहार सरकार का छुट्टियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संधि के साथ ही आरटीई का भी उल्लंघन है।

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आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सात दिन के भीतर यदि जवाब नहीं मिलता है तो एनसीपीसीआर मुख्य सचिव को तलब करने के लिए समन भी भेज सकता है। इसके पहले भी आयोग बिहार के किशनगंज और अन्य सीमावर्ती इलाकों के स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी किए जाने पर नोटिस भेजा जा चुका है।

बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से जारी नए कैलेंडर में बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि हिंदू पर्वों की छुट्टियां घटा दी गई हैं, जबकि मुस्लिम त्योहारों पर अवकाश बढ़ा दिए गए हैं। दूसरी ओर, शिक्षा विभाग का कहना है कि सामान्य स्कूलों और उर्दू स्कूलों के अलग-अलग जारी कैलेंडर को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। 2024 का कैलेंडर पिछले साल की तरह ही है, किसी भी पर्व की छुट्टी में कटौती नहीं की गई है।

Source : Hindustan

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