आज यानी 28 अक्टूबर से महापर्व छठ की शुरुआत हो रही है. नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले इस चार दिनों तक चलने वाले पर्व का लोगों के बीच खास महत्व होता है, जो कि पारण तक चलता है। छठ में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
इस दिन महिलाएं नाक से मांग तक खास सिंदूर लगाती हैं जिसको लेकर कई लोगों के मन में जिज्ञासा रहती है. तो आइए आज हम इस लंबे सिंदूर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आपको देते हैं.
आचार्य सर्वेश कुमार पांडे ने बताया कि हिंदू धर्म में सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है. वैसे तो पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ पूजा के दिन नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने की प्रथा है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए मांग में नारंगी सिंदूर लगाती हैं. मान्यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. यह भी मान्यता है कि लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्नता का भी प्रतीक है और इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है. माना जाता है कि इस दिन अगर कोई महिला नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाए तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति दिर्घायु होता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.
आचार्य सर्वेश कुमार पांडे के अनुसार, शास्त्रों में ये की मान्यता है कि हनुमान जी को चढ़ने वाला सिंदूर अर्थात नारंगी सिंदूर मांग में निरंतर धारण करने वाली सुहागन परमधाम को प्राप्त होती हैं, उनको एक भी दिन विधवा होकर इस धरा धाम पर नहीं जीना पड़ता.
इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान कर सबसे पहले सिंदूर लगाती हैं. माना जाता है कि यह सिंदूर माथे से लेकर जितना लंबा होगा, उनके पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी. बिना नहाए कभी भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. हमेशा नाक की सीध में ही सिंदूर लगाएं. कभी भी गिरा हुआ सिंदूर ना लगाएं. दूसरे का सिंदूर कभी नहीं लगाना चाहिए.
Source : News18