मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए धरती पर अवतार लिया। उन्होंने माता कैकेयी की 14 वर्ष वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए पिता के दिए वचन को निभाया। उन्होंने ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाय’ का पालन किया। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए वह ‘क्यों’ शब्द कभी मुख पर नहीं लाए।
हनुमान ने शिमला के जाखू मंदिर में किया था आराम
खू मंदिर शिमला की पहचान है। यह शिमला शहर की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। घने देवदार के पेड़ों के बीच जाखू मंदिर हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर है। छोटे से मंदिर के आसपास खूबसूरत पार्क है। कहा जाता है कि हनुमान जी जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। इसी घटना की याद में यहां चोटी पर मंदिर बनवाया गया। मंदिर कब बना, इसका कोई तथ्य मौजूद नहीं है। हां, जाखू मंदिर में 1837 की खींची गई मंदिर की एक श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) फोटो लगी है, जिससे मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। मंदिर परिसर में हनुमान की विशाल प्रतिमा 2010 में स्थापित की गई। शिमला शहर में कहीं से भी आपको हनुमान जी दिखाई देते हैं। जाखू मंदिर की चोटी से शिमला शहर का विहंगम नजारा देखने का मजा ही कुछ और है। इसकी ऊंचाई 2,100 मीटर से ज्यादा है और आप यहां से कई किलोमीटर दूर तक परमपिता की अभिनव चित्रकारी का आनंद उठा सकते हैं।
सेहतमंद हैं तो 30 मिनट में पूरी हो जाएगी चढ़ाई
आप जाखू पैदल भी जा सकते हैं। अगर आप सेहतमंद हैं तो जाखू की चढ़ाई आधे घंटे में पूरी कर सकते हैं, थोड़े कमजोर हैं तो 45 मिनट लगेंगे। आराम-आराम से जाना चाहते हैं तो एक घंटा लगेगा, लेकिन पैदल नहीं जाना चाहते तो टैक्सी बुक करें। टैक्सी करीब 250 रुपये लेगी। आप किसी के साथ शेयर भी कर सकते हैं या फिर शिमला शहर में नई शुरू हुई शेयरिंग टैक्सी सेवा से 10 रुपये में भी जा सकते हैं। जाखू मंदिर के लिए ऐसी टैक्सी सेवा चर्च के पास से चलती है।
Input : Hindustan