सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की शिकायत दर्ज करने में हो रही समस्याओं पर जताई चिंता, ऑनलाइन सिस्टम की जरूरत पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने अपराध पीड़ित महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने में आने वाली दिक्कतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि देश में महिलाओं की शिकायतें दर्ज करने के लिए ऑनलाइन प्रणाली क्यों नहीं है। कोर्ट ने कहा कि एक केंद्रीय एजेंसी होनी चाहिए, जहां महिलाएं ऑनलाइन शिकायत कर सकें।
यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई है। याचिका में सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा, अश्लील ऑनलाइन सामग्री पर प्रतिबंध और यौन अपराधियों को कड़ी सजा देने जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है।
महिलाओं के लिए ऑनलाइन शिकायत प्रणाली की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक सेंट्रल एजेंसी के माध्यम से महिलाओं को अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करने का विकल्प मिलना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शिकायत संबंधित पुलिस थाने तक पहुंचे और पीड़िता को कार्रवाई की पूरी जानकारी दी जाए। इससे पीड़िताओं को थानों के चक्कर लगाने और क्षेत्राधिकार विवाद जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी।
याचिका में अन्य प्रमुख मांगें
1. अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध: याचिका में ऑनलाइन पोर्नोग्राफी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अनफिल्टर्ड अश्लील कंटेंट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह सामग्री यौन अपराधों में वृद्धि का एक बड़ा कारण है।
2. कार्यस्थलों पर सुरक्षा: कार्यस्थलों पर सीसीटीवी लगाने और यौन उत्पीड़न के मामलों की फास्ट-ट्रैक सुनवाई की मांग की गई है।
3. अपराधियों पर रोक: महिलाओं के खिलाफ अपराधों में शामिल सांसदों और विधायकों को आरोपमुक्त होने तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने का भी अनुरोध किया गया है।
सुझाव और विचार मांगे गए
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि महिला वकीलों सहित अन्य विशेषज्ञों के सुझाव एकत्र कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें। केंद्र सरकार को भी इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए न्याय प्रक्रिया को अधिक सरल और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
Input : Hindustan