27 अक्टूबर को पूरे देशभर में दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा. दीपावली की तैयारी भारत में अभी से ही शुरू हो चुका है. इस त्योहार से पहले लोग अपने घरों की साफ-सफाई, रंग-रोगन और सजावट करते हैं. दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा होती है. इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं. इसलिए दीपावली को रोशनी का पर्व भी कहा जाता है.

दीपावली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. दिवाली भारत में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन त्योहार है. दीपावली भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है. भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से बहुत ही अत्यधिक महत्त्व है.‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात्‘ अंधेरे से प्रकाश की ओर आना. दीपावली को सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं. इस साल 27 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी.

समुद्रमंथन से लक्ष्मी व कुबेर का प्रकट होना- इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए. एक पौराणिक मान्यता है कि दीपावली के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर, जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थीं. मां लक्ष्मी ने सम्पूर्ण जगत के प्राणियों को सुख-समृद्धि का वरदान दिया और उनका उत्थान किया.

इसलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजन करने से माता लक्ष्मी अपने भक्तजनों पर प्रसन्न होती हैं और उन्हें धन-वैभव से परिपूर्ण कर मन के मुताबिक फल प्रदान करती हैं.

दीपावली के संबंध में एक मान्यतानुसार मूलत: यह यक्षों का उत्सव है कहा गया है. दीपावली की रात को यक्ष अपने राजा कुबेर के साथ हास-विलास में बिताते व अपनी यक्षिणियों के साथ हंसी-खुशी बात-चीत करते. दीपावली पर रंग- बिरंगी आतिशबाजी, लज़ीज़ पकवान और मनोरंजन के कार्यक्रम होते हैं, वे यक्षों की ही देन हैं.

समय बीतने के साथ यह त्योहार मानवीय होता गया और धन के देवता कुबेर की बजाय धन की देवी लक्ष्मी की इस अवसर पर पूजा होने लगी, क्योंकि कुबेर जी की मान्यता सिर्फ़ यक्ष जातियों में थी पर लक्ष्मी जी की देव तथा मनुष्य जातियों में.

 

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