संत कबीर के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनसे सुखी जीवन के सूत्र सीख सकते हैं। यहां जानिए उनका एक ऐसा ही प्रसंग…

चर्चित प्रसंग के अनुसार संत कबीर रोज प्रवचन देते थे, आसपास के गांवों के कई लोग उनकी बातें सुनने आते थे। एक दिन प्रवचन खत्म होने के बाद एक व्यक्ति ने कबीर से पूछा कि मेरी पत्नी से मेरा रोज झगड़ा होता है। मेरी ये समस्या कैसे दूर हो सकती है? कबीर थोड़ी देर चुप रहे, फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि लालटेन जलाकर लाओ। पत्नी ने ऐसा ही किया। वह आदमी सोचने लगा कि दोपहर का समय है, अभी कबीरजी ने लालटेन क्यों मंगाई है? थोड़ी देर बाद कबीर ने अपनी पत्नी से कहा कि कुछ मीठा दे जाना। इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन देकर चली गई।

कबीर ने उस व्यक्ति से पूछा कि आपको अपनी परेशानी का हल मिला या नहीं? वह व्यक्ति बोला की गुरुजी मेरी समझ में कुछ नहीं आया, आपने तो अभी तक कुछ बताया ही नहीं है। कबीर ने कहा कि जब मैंने मेरी पत्नी से लालटेन मंगवाई तो वो ये बोल सकती थी कि इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत है? लेकिन उसने ऐसा नहीं पूछा। उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए लालटेन मंगवाई होगी। इसीलिए वह चुपचाप देकर चली गई।

कुछ देर बाद मैंने मेरी पत्नी से मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गई। हो सकता है घर में कुछ मीठा न हो, ये सोचकर मैं चुप रहा। कबीर ने कहा कि पति-पत्नी के बीच आपसी तालमेल होना बहुत जरूरी है। दोनों को एक-दूसरे की भावनाएं समझनी चाहिए। हालात के अनुसार व्यवहार करना चाहिए और वाद-विवाद से बचना चाहिए। वह व्यक्ति समझ गया कि कबीर ने ये सब उसे समझाने के लिए किया था।

कबीर ने कहा कि अगर पति से कोई गलती हो तो पत्नी उसे सही कर दे और अगर पत्नी से कोई गलती हो जाए तो पति को उसे ठीक कर देना चाहिए। यही सुखी, शांत और सफल जीवन का सूत्र है। इस बात का ध्यान रखने वाले पति-पत्नी हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

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