करनाल के निगधू की ज्योति ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड में 10वीं की परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया है. ज्योति को 500 में से 496 अंक हासिल हुए हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की ज्योति के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. निम्न आय और कमतर संसाधनों में पली इस बेटी ने शिक्षा के जरिये अपने परिवार की नींव मजबूत करने की ठानी है. हरियाणा बोर्ड में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल करने वाली ज्योति का सपना आईपीएस बनकर देश का नाम रोशन करना है.
सेल्फ स्टडी में अनुशासन ने उसे यह मुकाम दिलाया है. तभी तो ज्योति कहती हैं कि मन लगाकर सेल्फ स्टडी कर लो तो ट्यूशन का क्या काम. यही उनका सक्सेस मंत्र भी है. ज्योति ने aajtak.in से अपनी जर्नी साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने तैयारी करके अपनी मंजिल हासिल की.
कहते हैं कि सपने पूरे करने के लिए किसी अमीर घर में पैदा होना ज़रूरी नहीं है. न ही घर का पक्का होना जरूरी है, जरूरी है तो मेहनत और लगन. जो कि ज्योति में भरपूर है. इसका नतीजा ये है कि उसने हरियाणा राज्य में तीसरा स्थान हासिल किया है. अब सवाल ये भी है कि क्या अच्छे नंबरों के लिए ट्यूशन जरूरी है. दसवीं की परीक्षा में प्रदेश भर में तीसरे नंबर पर आने वाली ज्योति से जब यह सवाल पूछा तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया. शायद नहीं, लेकिन एक शर्त है. वह थोड़ा रूक कर बोली. यदि आप में अनुशासन है. लगातार बढ़ कर पढ़ सकते हैं. आपमें अनुशासन है हर काम को समय पर करने का जज्बा है तो फिर आपको ट्यूशन की कोई जरूरत नहीं है. हां, यदि इसमें से आप में एक चीज की भी कमी है तो फिर ट्यूशन करना ही पड़ेगा.
ज्योति ने दसवीं की परीक्षा में 500 में से 496 अंक किए हासिल
मैथ, सोशल साइंस व पंजाबी में उन्होंने शत प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. ज्योति को हिंदी में 96 अंक, अंग्रेजी में 99 अंक हासिल हुए हैं. ज्योति ने कहा कि बोर्ड की परीक्षा पहली बार थी. इसलिए मन में डर था, क्या होगा क्योंकि बेहतर करना था. वह शुरू से ही फोकस थी कि कैसे सफल होना है. हालांकि यह टारगेट नहीं था कि प्रदेश में अव्वल आना है. कोशिश यह थी कि अच्छे नंबरों के साथ पास होना है, इसलिए स्कूल में जो सीखा, उसके नोट्स तैयार किए. उन्हीं नोट्स की वह स्टडी करती रही. अपनी पढ़ाई को 12 से 13 घंटे का समय दिया. शुरू से ही उसे पढ़ने का शौक था. वो लगातार बैठ कर पढ़ सकती है जो उसके लिए बहुत ही फायदेमंद रहा.
पिता करते हैं दिहाड़ी मजदूरी
ज्योति रानी के पिता जसविंदर सिंह एक दिहाड़ी मजदूर है और मां गृहणी हैं. परिवार में चार बहनें और एक भाई है. ऐसे में इतने बड़े परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल होता है लेकिन ज्योति के माता पिता ने अच्छी शिक्षा के लिए उसे प्राइवेट स्कूल में एडमिशन दिया और पिता की मेहनत और मां का मार्गदर्शन और गुरुओं की शिक्षा ने उसे सफलता के शिखर तक पहुंचाने का काम किया.
Source : Aaj Tak