सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह सवाल उठाया कि क्या किसी महिला को भारतीय दंड संहिता धारा-375 के तहत दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाया जा सकता है? शीर्ष अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाई गई 62 साल की एक विधवा की अग्रिम जमानत याचिका पर यह सवाल उठाया है। अग्रिम जमानत की मांग करते हुए महिला ने कहा है कि उसके बेटे के खिलाफ दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया और उसे भी इस मामले में फंसाया गया है।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और संजय करोल की पीठ के सुनवाई के दौरान अपने मौखिक टिप्पणी में कहा कि ‘हमारे अनुसार आईपीसी की धारा-375 के तहत सिर्फ पुरुष पर ही दुष्कर्म का आरोप लगाया जा सकता है।’ इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने महिला की अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर प्रतिवादी से जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि वह इस सवाल पर विचार करेगा।

आपको बता दें कि आईपीसी की धारा- 375 तहत ‘दुष्कर्म ’ के अपराध को परिभाषित किया गया है। इससे पहले महिला की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि किसी महिला पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है।

अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि यह स्थापित कानून है कि किसी महिला को सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में सामान्य इरादे साझा करने के लिए नहीं कहा जा सकता। क्योंकि महिलाओं को दुष्कर्म की परिभाषा के दायरे से बाहर रखा गया है। महिला ने इस मामले में पंजाब की निचली अदालत और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

Source : Hindustan

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