यूपी के हमीरपुर जिले में अविश्वसनीय ढंग से ‘मर कर’ जिंदा होने वाली महिला की आखिरकार 18वें दिन मौत हो गई. वह राठ कोतवाली के सदर गांव में रहती थी और ब्लड कैंसर से ग्रसित थी. मृतका को 18 दिन पहले जालंधर के निजी अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था. डॉक्टरों ने ‘शव’ को परिजनों को सौंप दिया था. मगर रास्ते में महिला की सांसें चलने लगीं. जिसे देख परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई. लेकिन अब 18 दिन बाद महिला की मृत्यु हो गई है. उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

बता दें कि अनीता नाम की महिला कैंसर पेशेंट थी. उसका पति मातादीन रैकवार मजदूर है. अनीता को 18 दिन पूर्व जालंधर के निजी अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था और डॉक्टरों ने शव को पैक कर के दे दिया था. पति मातादीन एंबुलेंस से शव लेकर आ रहा था, तभी बीच रास्ते अनीता की सांसें चलने लगीं. वो उठकर बैठ गई थी और पानी मांगा था. पत्नी को जिंदा देख कर पति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था.

लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी. अनीता ने बीते बुधवार को दुनिया को अलविदा कह दिया. उसका अंतिम संस्कार हो चुका है.

जानिए पूरा मामला

राठ कस्बे से 10 किमी दूर सदर गांव के मातादीन रैकवार गरीब मजदूर है, जो जालंधर में अपने रिश्तेदार के घर रहकर मजदूरी करता है. उसकी 33 वर्षीय पत्नी अनीता ब्लड कैंसर से पीड़ित थी. तमाम इलाज कराने के बावजूद उसकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. अनीता की हालत बिगड़ती चली गई. धनाभाव भी इलाज में बाधा बन गया. किसी अच्छे अस्पताल में इलाज कराना पति के लिए मुश्किल था.

इसी बीच मातादीन पत्नी अनीता, दो बच्चों- समर और सोनिया को लेकर जालंधर में रिश्तेदार राजू के घर रहकर मजदूरी करने लगा. और वहीं पर पत्नी का इलाज एक निजी अस्पताल में कराना शुरू कर दिया. मातादीन ने बताया की करीब 18 दिन पूर्व पत्नी की हालत बिगड़ गई, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टर ने चेकअप के बाद अनीता को मृत घोषित कर दिया था.

रास्ते में जिंदा हो गई पत्नी

बकौल मातादीन- हम शव को एंबुलेंस से ला रहे थे. तभी रास्ते में अनीता की सांसें चलने लगी थीं. पहले तो सभी लोग भयभीत हुए, लेकिन दूसरे ही पल में सभी के चेहरों पर खुशियां छा गईं.

मातादीन ने बताया कि तब से अनीता घर में ही थी. उसकी देखभाल की जा रही थी. मगर बीते मंगलवार की रात अनीता की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और सुबह होते-होते उसकी घर पर ही मौत हो गई. 18 दिन पूर्व मौत को मात देकर लौटी अनीता की इस बार सांसें थमीं तो बच्चे और पति बिलख पड़े. दोपहर बाद अनीता के शव का गांव में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया.

इलाज कराने में पति हो गया कर्जदार

ग्रामीणों ने बताया कि मातादीन गरीब मजदूर है. पत्नी के ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित होने के बाद उसका इलाज कराने में पति कर्जदार हो गया है. नाते-रिश्तेदारों के साथ ही साहूकारों से कर्जा ले रखा है, जो करीब पांच लाख रुपये के आसपास का है.

Source : Aaj Tak

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