बच्चों के लिए परिवार से बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती है। इस सोच के साथ समाज कल्याण विभाग ने बेसहारा बच्चों को परिवार से जोड़ने के अभियान की शुरुआत की है। इसका मतलब अपनों से बिछड़े बच्चों का शेल्टर होम की बजाय घर में परिवार के बीच देखभाल होगी। समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ की मदद से छह जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत फॉस्टर केयर की शुरुआत की गई है। पटना, गया, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सीतामढ़ी और अररिया में फास्टर केयर की शुरुआत हुई है। इससे जुड़ने के लिए विभाग ने टोल फ्री नम्बर 1800111878 जारी किया है। पहली बार देश में फॉस्टर केयर से जुड़ने के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किया गया है। गुरुवार को आफ्टर एवं फॉस्टर केयर को मजबूत करने पर बाल संरक्षण कर्मियों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
अठारह साल होने पर चार हजार रुपये प्रति बच्चा दिये जाएंगे : राज्य दत्तक ग्रहण प्राधिकरण के कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार ने आफ्टर केयर पर राज्य के द्वारा किये जा रहे प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। कहा कि सरकार के द्वारा पहले 18 साल के हो जाने पर बच्चे को बालगृहों से निकलने पर अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रोत्साहन के रूप में 2,000 रुपये की राशि दिये जाने का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर अब सरकार ने 4000 प्रति बच्चा कर दिया है। साथ-साथ सरकार ने उनके कौशल विकास एवं नियोजन हेतु विभिन्न संस्थाओं का सहयोग लेना प्रारंभ कर दिया है।
यूनिसेफ, बिहार की बाल अधिकार संरक्षण पदाधिकारी, गार्गी साहा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के अनुच्छेद 21 के अनुसार जब कोई बच्चा गोद लिया जाता है या पालक की देखभाल में रहता है तो उनका सबसे अच्छा हित पहले आना चाहिए। लोगों को यह सुनना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। कोई बच्चा गोद लिया जाता है तो उन्हें उन लोगों द्वारा अपनाया जाना चाहिए, जो उनके साथ अच्छा व्यवहार कर सकते हैं।
क्या है फॉस्टर केयर : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक गाइड लाइन बनाई है, जिसमें 6-18 साल तक के ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता मानसिक रूप से बीमार हैं, सजायाफ्ता हैं या गरीब हैं तो बच्चों को तात्कालिक रूप से दूसरे परिवारों में पलने के लिए दिया जाता है, जिसे फॉस्टर केयर कहते हैं।
Input : Hindustan