लोगों के साथ धोखधड़ी करने के लिए साइबर ठग, अलग-अलग और अनोखे तरीके तैयार कर रहे हैं. आज आपको एक खास तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें स्कैमर्स फर्जी फिंगप्रिंट तैयार करके भोले-भाले लोगों के बैंक अकाउंट तक को खाली कर देते हैं.
दरअसल, इस साल बिहार पुलिस ने एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया. इसके बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया, जिनके पास से 512 क्लोन फिंगरप्रिंट बरामद किए. इन फेक थंप इंप्रेशन को प्लास्टिक के अंगूठे पर तैयार किया था. स्कैमर्स उन लोगों को शिकार बनाते थे, जो कम पढ़े लिखे हैं और आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (AePS) का यूज़ करते हैं.
क्या है AePS सिस्टम?
दरअसल, आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (AePS) को साल 2014 में लॉन्च किया था. इस सर्विस का मकसद उन भारतीय लोगों को फायदा पहुंचाना था, जिन लोगों के गांव में या आसपास कोई बैंक की ब्रांच नहीं होती है. वे लोग आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (AePS) सर्विस का फायदा उठा सकते हैं और नजदीकी साइबर कैफे या जन सुविधा केंद्र जाकर रुपये ले सकते हैं.
AePS सिस्टम का कैसे करते हैं यूज़?
AePS सिस्टम से रुपये निकालने के लिए व्यक्ति को सिर्फ आधार कार्ड नंबर और बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन का यूज़ करना होता है, जिसमें थंप और Iris Scan शामिल है. इसके बाद वह अपने बैंक अकाउंट से आसानी से रुपये निकाल सकते हैं. इस सिंपल प्रोसेस का इस्तेमाल साइबर ठग भी करते हैं.
विक्टिम के फिंगरप्रिंट को कॉपी कैसे करते हैं?
साइबर ठग विक्टिम के फिंगरप्रिंट का क्लोन लेने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. पुलिस ने जिन दो लोगो को गिरफ्तार किया था, उन्होंने बताया कि वे फिंगरप्रिंट का क्लोन तैयार करने के लिए, गांव वालों के पास जाते हैं. इसके बाद उन्हें इंस्टैंट लोन या फिर राशन कार्ड का बहाना लगाते, उसके बाद चोरी छिपे उसके फिंगरप्रिंट का क्लोन तैयार कर लेते.
Source : Aaj Tak