अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्त होती है। अक्षय तृतीया के दिन का धार्मिक शास्त्रों और पुराणों में भी जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी।  कहा जाता है कि महाभारत में भी अक्षय तृतीया की तिथि का जिक्र है। महाभारत में बताया गया है कि इस दिन दुर्वासा ऋषि ने द्रोपदी को अक्षय पात्र दिया था।

महाभारत में बताया जाता है कि जब पांडवों को वन में 13 सालों के लिए जना पड़ा तो एक दिन उनके वनवास के दौरान दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में आए। ऐसे में सभी पांडवों और द्रोपदी ने घर में जो कुछ रखा था उनसे उनका अतिथि सत्कार किया। दुर्वासा ऋषि द्रोपदी के इस अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन्होंने प्रसन्न होकर द्रोपदी को अक्षय पात्र उपहार में दिया।

साथ ही दुर्वासा ऋषि ने यह भी कहा कि इस दो व्यक्ति भक्तिभाव से भगवान विष्णु जी की पूजा करेगा और गरीब को दान देगा, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इसलिए इस दिन  भगवान विष्णु को नैवेद्य में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है। इस बार कोरोना वायरस लॉकडाउन में घर पर रहकर ही भगवान विष्णु की पूजा करें।

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