पानी पीने के बाद भी प्यास न बुझे, कब्ज हो, सुबह-सुबह गैस बनने लगे तो अपने पानी की जांच जरूर कराएं। हो सकता है कि आपके पानी में फ्लोराइड हो। फ्लोराइड युक्त पानी से दांत में धब्बे आने लगते हैं। कमर भी झुकने लगा है।
ये विभिन्न तरह के फ्लोरोसिस के लक्षण हैं, जिनसे निजात पाने का तरीका निकाला है पटना वीमेंस कॉलेज की सेंट्रल रिसर्च लैबोरेटरी ने। यहां की यूजी कोर्स की छात्राओं ने जूलॉजी विभाग की एचओडी प्रो. शाहला यास्मीन के नेतृत्व में रिसर्च किया। इसके अनुसार, चॉक पावडर, चारकोल और ईंट के चूर्ण से फ्लोरोसिस युक्त पानी को साफ किया जा सकता है। चॉक पावडर से सबसे अधिक 79 प्रतिशत, एक्टिवेटेड चारकोल से 69 प्रतिशत, ईंट के चूर्ण से 63 प्रतिशत तक फ्लोराइड खत्म हुआ। इसके अलावा सहजन के बीज और आंवले के पावडर को पानी में मिलाने पर क्रमश: 62 प्रतिशत और 59 प्रतिशत फ्लोराइड कम किया गया।
गया में सर्वे
विभागाध्यक्ष ने बताया कि फ्लोराइड प्रभावित गया के दो प्रखंड आमस और बांकेबाजार के 92 गांवों के 11523 लोगों पर टीम ने सर्वे किया। नौ महीने तक चले इस सर्वे में गांववासियों के खान-पान, खेत में उपजने वाले फल और सब्जियों सहित कई चीजों पर गहन अध्ययन किया गया है। लैब की ओर से सर्वे की रिपोर्ट यूजीसी को सौंपी गई है। गया में फ्लोरोसिस के कई प्रकार देखने को मिलते हैं।
सर्वे में खास
पुराने पत्थर और मिट्टी में बायोटाइट मिनरल पाए जाने के कारण पानी में फ्लोराइड पाया जाता है। इन पत्थरों में बायोटाइट नामक मिनरल पाया जाता है। इसके कारण जो पानी सिंचाई या खान-पान में इस्तेमाल किया जाता है, उसमें फ्लोराइड पाया जा रहा है। गया में फ्लोरोसिस की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में है। बच्चे और युवाओं में डेंटल फ्लोरोसिस की समस्या पाई गई। फ्लोरीन के सेवन के कारण यहां के बच्चे मंदबुद्धि पाए गए। डेंटल या स्केलेटल फ्लोरोसिस का पता डॉक्टर भी नहीं लगा पाते हैं, इसलिए इसका इलाज नहीं हो पाता है। गयावासियों में फ्लोरीन के कारण डेंटल, स्केलेटल और नॉन स्केलेटल फ्लोरोसिस की समस्या आम है।
आंवला और सहजन का पत्ता रामबाण
सर्वे में फ्लोरीन प्रभावित गांव भूपनगर में 53 ग्रामीणों पर इसका प्रयोग किया गया। इस दौरान दो ग्रुपों में ग्रामीणों के खान-पान का विश्लेषण किया गया। इसमें टेस्ट ग्रुप को फिल्टर पानी के साथ दिन में दो बार एक चम्मच आंवला पावडर दिया गया जबकि कंट्रोल ग्रुप को फ्लोरीन वाला पानी पीने दिया गया। इसके बाद हर महीने इनके यूरिन सैम्पल का टेस्ट किया गया। टेस्ट ग्रुप का स्वास्थ्य बेहतर पाया गया। इसके अलावा लोग अगर साइट्रस फ्रूट जैसे नारंगी, अंगूर, स्ट्रॉबेरी अपने आहार में शामिल करें तो फ्लोराइड के कुप्रभाव से बच सकते हैं। कैल्शियम वाले खाद्य पदार्थ, दूध, दही और सहजन के पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है।
फ्लोराइड से होने वाली परेशानी
डेंटल फ्लोरोसिस : दांत के बीचों-बीच धब्बे और खाई
स्केलेटल फ्लोरोसिस : हड्डियों का मुड़ जाना, कमर झुक जाना
नॉन स्केलेटल फ्लोरोसिस : पेट की गड़बड़ी, गैस, कब्ज, मुंह का सूखना, एनीमिया का होना, थायरॉइड, नींद की कमी, सिरदर्द
क्या करें :
– सबसे पहले अपने पानी की जांच कराएं
– अपने खाने में पौष्टिक चीजों को शामिल करें जैसे मौसमी फल, हरी साग सब्जियां, कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ, दूध, दही।
Input : Live Hindustan