गर्मी बढऩे के साथ शुरू होने वाली बीमारी एईएस के कारण का पता लगाने में अमेरिका व इंग्लैंड की टीम को भी सफलता नहीं मिली। इसलिए इसके कारण अब तक अज्ञात हैं। इसका इलाज लक्षण के आधार पर किया जा रहा है। वहीं एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ.गोपाल शंकर सहनी ने अपने शोध में साबित किया है कि यह बीमारी गर्मी व नमी के कारण होती हैै। उनके शोध का प्रकाशन इंडियन पीडियाट्रिक जनरल में हुआ है।
डॉ. साहनी ने कहा कि जब गर्मी 36 से 40 डिग्री सेल्सियस व नमी 70 से 80 के बीच होता है तो इस बीमारी का कहर बढ़ जाता है। पिछले चार-पांच दिन से मौसम की चाल उसी हिसाब से है और मरीजों का आना शुरू है। इस बीमारी का लक्षण है तेज बुखार व चमकी आना। देखते-देखते बच्चा बेहोश हो जाता है। इस बार जो बच्चे बीमार हो का आ रहे उसमें तेज बुखार, चमकी तथा बेहोशी के लक्षण दिख रहे है।
वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अरुण शाह ने कहा कि चमकी-बुखार के लक्षण हो तो सीधे सरकारी अस्पताल लेकर आएं। गर्मी से बचाएं तथा खूब पानी पिलाएं। केजरीवाल अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार की मानें तो बीमारी का कारण नहीं पता चलने से जो लक्षण दिखता है उसके आधार पर इलाज हो रहा और बच्चे क्योर हो रहे हैं। शुक्रवार को यहां से चार बच्चे क्योर होकर गए हैं। जो बच्चे बीमार हैं उनमें अधिकांश कुपोषण के शिकार मिल रहे। कुपोषण को लेकर जिले में विशेष अभियान चलना चाहिए।
विदेशी टीम ने किया शोध
एईएस के वायरस की तलाशं सीडीसी अमेरिका की टीम नहीं कर पाई। टीम की रिपोर्ट में बीमारी के वायरस का पता नहीं चला। पीडि़त बच्चों के खून का नमूना संग्रह कर जांच हुई। एनआईसीडी दिल्ली की टीम ने जेई, नीपा, इंटेरो वायरस, चांदीपुरा व वेस्टनील वायरस पर शोध किया। लेकिन, किसी बच्चे में यह लक्षण नहीं मिले।
Input : Dainik Jagran