शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र जारी है। भक्तों को अब महाअष्टमी और महानवमी का इंतजार है। इस दिन घर घर विशेष पूजा होती है और कन्याओं को भोजन करवाया जाता है। उनकी पूजा होती है। देश के बड़े हिस्से में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। पंचाग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर होगा, जो अगले दिन 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। वहीं महानवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 से होगा, जो अगले दिन 25 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस तरह शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा, महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को किया जाएगा।
Kanya Pujan के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
महाअष्टमी और महानवमी के दिन देवी की पूजा करने के साथ ही कन्याओं की पूजा की जाती है और इसके बाद उन्हें भोजन करवाया जाता है और उपहार दिया जाता है। आमतौर पर नौ कन्याओं को भोजन करवाया जाता है। कन्याओं को गिफ्ट में कुमकुम, बिंदी और चुड़ियां दी जाती हैं।
एक सवाल यह उठता है कि कन्या किसे माना जाता। शास्त्रों में बताया गया है कि 2 वर्ष कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्ष की शाम्भरी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलती हैं। 11 वर्ष से ऊपर की अवस्था की कन्याओं का पूजन वर्जित माना जाता है। कहा जाता है कि होम, जप, और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कि कन्या पूजन से होती हैं। दुःख, दरिद्रता और शत्रु नाश के लिए कन्या पूजन सर्वोत्तम माना गया है। यह कोई आवश्यक नही कि नौ कन्याओं का ही पूजन किया जाए एक कन्या का पूजन भी उतना फलदायक होता है जितनी नौ कन्याओं का।
अष्टमी तिथि: 23 अक्टूबर (शुक्रवार) सुबह 06 बजकर 57 मिनट से 24 अक्टूबर (शनिवार) सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक।
महानवमी तिथि: 24 अक्टूबर (शनिवार) सुबह 06 बजकर 58 से 25 अक्टूबर (रविवार) सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक।
Source : Patrika