विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष बंगाली माह भाद्र के आखिरी दिन भाद्र संक्रांति को मनाया जाता है, इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है। इस वर्ष कन्या संक्रांति 17 सितंबर दिन गुरुवार को है। ऐसे में इस बार विश्वकर्मा पूजा आज 17 सितंबर को मनाया जा रहा है। आज के दिन विधिपूर्वक भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से रोजगार और बिजनेस में तरक्की मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी कहा जाता है। वे निर्माण एवं सृजन के देवता हैं। वे संसार के पहले इंजीनियर और वास्तुकार कहे जाते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त
17 सितंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर कन्या संक्रांति का क्षण है। इस समय पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति के साथ ही विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त है। पूजा के समय राहुकाल का ध्यान रखना होता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 01 बजकर 53 मिनट तक है। इस समय काल में पूजा न करें।
विश्वकर्मा पूजा के दिन का पंचांग
दिन: गुरुवार, आश्विन मास, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी तिथि।
दिशाशूल: उत्तर।
विशेष: सूर्य की कन्या संक्रांति।
भद्रा: प्रात: 09:33 बजे तक।
विक्रम संवत 2077 शके 1942 दक्षिणायन, उत्तरगोल, शरद ऋतु शुद्ध आश्विन मास कृष्णपक्ष की चतुर्दशी 19 घंटे 57 मिनट तक, तत्पश्चात् अमावस्या मघा नक्षत्र 12 घंटे 21 मिनट तक, तत्पश्चात् पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सिद्धि योग 07 घंटे 41 मिनट तक, तत्पश्चात् साध्य योग सिंह में चंद्रमा।