दरभंगा. जितना खतरनाक कोरोना संक्रमण है, उससे बड़ी बीमारी कोरोना का भय भी है. इसका ताजा उदाहरण दरभंगा के बहादुरपुर प्रखंड के दोकली गांव में देखने को मिला. यहां एक बुजुर्ग को एंबुलेंस वाला सिर्फ इसलिए अस्पताल लेकर नहीं गया कि उसे मरीज के कोरोना संक्रमित होने का संदेह हो गया था. नतीजा यह हुआ कि थोड़ी देर बाद इलाज के अभाव में दमा के इस मरीज की मौत हो गई. इस सदमे के बाद इस बुजुर्ग के बेटे ने खुदकुशी कर ली.
बेटे ने लगा ली फांसी
मामला दरभंगा के बहादुर पुर प्रखंड का है. यहां के दोकली गांव में दमा से पीड़ित 60 वर्षीय बुजुर्ग मदन मोहन झा की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही थी. आज अचानक हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उनके बेटे ने बहादुरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फोन कर एंबुलेंस मंगवाया. लेकिन मरीज को देखते ही कोरोना संक्रमित बता कर एम्बुलेंसकर्मी ने मरीज को ले जाने से इनकार कर दिया. आधे घंटे बाद बुजुर्ग की मौत घर में ही हो गई. पिता की मौत के बाद बेटा रामु झा बाइक से निकला और घर से दूर बगीचे में जाकर फांसी लगा ली. रामु की भी मौत हो गई.
आत्महत्या की सही वजह सामने नहीं
हालांकि आत्महत्या के पीछे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि पिता की मौत के सदमे को बेटा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने मौत को गले लगा लिया. जानकारी के अनुसार बुजुर्ग ने भी 19 अप्रैल को अपनी कोरोना जांच कराई थी. लेकिन अब तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है.
परिजनों का आरोप
घर सदस्य हरि वलल्ब झा ने बताया कि दो-दो मौत के बाद घरवाले अस्पताल प्रशासन के खिलाफ गुस्से में हैं और दोनों मौत का जिम्मेवार अस्पताल के डॉक्टर और एम्बुलेंसकर्मी को मान रहे हैं. मृतक युवक के चाचा ने बताया कि जब कोरोना जांच रिपोर्ट आई ही नहीं, तो एम्बुलेंसकर्मी कैसे कोरोना मरीज कह कर ले जाने से इनकार किया. वहीं जब उनके भतीजे फांसी लगाई तो उसे तुरंत उतार कर अस्पताल लाया गया. उस वक्त तक उसकी सांस चल रही थी, लेकिन डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही बरती जिसकी वजह से उसकी भी मौत हो गई. पूरे मामले में न तो पुलिस कुछ बोलने को तैयार है न ही खबर लिखे जाने तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई बयान आया है.
Input: News18