आजकल के दौर में लड़के हों या लड़कियां कोई किसी से कम नहीं है. वक्त के साथ महिलाएं जिस तरह आसमान को छू रही हैं, ठीक उसी तरह उनके प्रति होने वाले अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आज के समय में महिलाओं के साथ लूट, छीना-झपटी, छेड़छाड़, अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. सड़क, ऑफिस, कार तो क्या महिलाएं आज अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं. चाहे कॉलेज स्टूडेंट हों, नौकरीपेशा महिला हो या हाउसवाइफ हो, हर जगह उन्हें अपनी सुरक्षा का खतरा बना ही रहता है. किसके साथ कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता?
बाजार में, ट्रेन या बस में यात्रा करते वक्त, लिफ्ट में या गली मोहल्ले में बदमाश लड़कों का छेड़छाड़ करना, उन पर अश्लील कमेंट करना, इशारे करना जैसे रोज की ही बात हो गई है. कई बार ऐसी घटनाओं से परेशान होकर लड़कियां घर से निकलना बंद कर देती हैं या रास्तों को बदल लेती हैं. ऐसा करने से इस तरह के लोगों का हौसला और भी बढ़ जाता है. हालांकि हर जगह हर बात पर हर किसी से उलझना या बहस करना भी ठीक नहीं है और कुछ बातों को इग्नोर करना ही सही होता है लेकिन अगर पानी सिर से ऊपर चढ़ने लगे तो फिर सबक सिखाना भी जरूरी हो जाता है.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह के कानून है, लेकिन कानून तब तक कुछ नहीं कर सकता जब तक एक नारी खुद अपने लिए आवाज़ को बुलंद नहीं करती है. जब एक नारी अपने अधिकारों के लिए आवाज़ को बुलंद करती है तभी उसे न्याय मिलता है. न्याय के लिए दरवाजा भी तो नारी तभी खटखटाएगी जब उसे अपने अधिकारों और स्वयं की रक्षा कैसे की जाए इसके बारे में पूरी तरह से जानकारी होगी. रास्ते पर चलते वक्त, ऑफिस में निकलते समय, बस, ट्रेन या फ्लाइट में कैसे करें खुद की सुरक्षा आइए जानते हैं.
ऐसे करें खुद की सुरक्षा
– किसी भी चीज की शुरुआत घर से ही होती है, इसलिए जरूरी है कि जब आप ऑफिस, कॉलेज, किसी पार्टी या दोस्तों से मिलने के लिए जाएं तो घर पर पापा, मां, भाई या बहन को जानकारी अवश्य दें. अगर, आपको रास्ते में किसी तरह की कोई समस्या होती है तो मदद लेने में आसानी होगी.
– अगर, आप रात को ट्रैवल कर रही हैं तो गाड़ी और ड्राइवर का नंबर अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ जरूर शेयर करें.
– आजकल के वक्त में स्मार्टफोन काफी एडवांस हो गए हैं. ऐसे में अगर आप अकेले सफर कर रही हैं या कहीं जाती हैं तो व्हाट्सऐप लोकेशन ट्रैक को ऑन रखिए. इस फीचर के जरिए आपके दोस्त या जानने वाले लोग आप इस वक्त कहां इसके बारे में आसानी से जान पाएंगे.- बाजार में महिलाओं के लिए कई तरह के सेफ्टी स्प्रे मौजूद है. जिन्हें आप आसानी से कैरी कर सकती हैं और वक्त आने पर छेड़खानी करने वालों को सबक सिखा सकती हैं.
– खुद की सुरक्षा के लिए आपको थोड़ा सा फिजिकली एक्टिव रहने की जरूरत है. फिजिकली एक्टिव रहने और सुरक्षा के लिहाज हर महिला को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेनी चाहिए.
हर बार इग्नोर करना सही नहीं
– अमूमन छेड़खानी करने वाले लड़कों को महिलाएं नजरअंदाज कर जाती है. एक बार तो नजरअंदाज करना सही है, लेकिन हर बार ऐसा करना गलत है. सड़क पर चलते वक्त कोई लड़का आपके साथ गलत व्यवहार करता है या अपशब्द बोलता है तो जोर से चिल्लाइए.
– फोर्क या नुकीली चीज़ साथ में रखिए- जैसे आपको फील हो कि आपके साथ कुछ गलत हो रहा है, उस समय आप किसी नुकीली चीज़ फोर्क, चाकू या फिर हेयर पिन से वार करके वहां से भाग निकलिए.
– प्राइवेट पार्ट पर ही करें वार- रास्ते में चलते वक्त जैसे ही कोई आपके शरीर को गलत इरादों से टच करने की कोशिश करता है या आपके साथ जबरदस्ती बनाने पर उतारू होता है तो इस स्थिति में उसके प्राइवेट पार्ट पर जोर से वार कीजिए. प्राइवेट पार्ट पर वार करते ही वहां से भाग जाइए और पुलिस को फोन करिए.
– खुद पर रखें भरोसा- देर रात अकेले सफर करते वक्त या सड़क पर चलते वक्त कोई आपका पीछा करता है, तो घबराने की नहीं बल्कि खुद पर भरोसा रखने की जरूरत है. ऐसे वक्त में बिना पीछे देखे सीधा चलते रहिए और आसपास कोई एटीएम, दुकान गार्ड या गेटकीपर को देखिए. जैसे ही आपको इनमें से कोई एक भी ऑप्शन मिलता है तो उन्हें इस बात की जानकारी दीजिए.
अगर, रास्ते में यह सब आपको नहीं दिखता है तो एटीएम में जाकर दो पल के लिए खड़े हो जाइए, वहां पर लगे कैमरे में उसकी पहचान सामने आने के डर से वह वहां से भाग जाएगा.
गैजेट्स बन सकते हैं हथियार
– बाजार में कई सारे ऐसे प्रोडक्ट्स मौजूद है जो आपकी मदद कर सकते हैं. ऐसे में आप की-चेन के तौर पर एक पर्सनल आलर्म कैरी कर सकती हैं. इससे जब भी आप परेशानी में हो इस अलार्म चेन के ट्रिगर को खींच सकती हैं, जिससे बहुत जोर की आवाज निकलेगी. जिससे आप पर हमला करने वाला शख्स भाग निकलेगा.
– गले में लॉकेट या हाथों में ब्रैसलेट जैसा दिखने वाला जीपीएस ट्रैकर भी एक कमाल का डिवाइस है. इस डिवाइस से आपको मुसीबत के वक्त मोबाइल फोन ढूढने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस ट्रैकर में आपको सिम कार्ड डालकर मोबाइल में AIBEILE एप्लीकेशन को इनस्टॉल करना होगा. इसके बाद बॉक्स पर आपके सामने कुछ पासवर्ड आएंगे, जिन्हें सेट करने के बाद इमरजेंसी नम्बर सेट कीजिए. मुसीबत के वक्त जैसे ही आप इसे प्रेस करेंगी तो यह आपके इमरजेंसी कॉन्टैक्ट के पास मैसेज पहुंचाएगा. साथ ही उस वक्त आप कहां पर मौजूद हैं इसके बारे में भी पूरी जानकारी ऑटोमेटिक पहुंचा देगा.
– आज बाजार में कई ऐसी टॉर्च मौजूद हैं जो हमलावर पर दिखाते ही उसे बिजली के करंट का झटका देती हैं. ये टॉर्च उन महिलाओं के लिए बेस्ट हैं जो ऑफिस में लेट नाइट वर्क करती हैं.
बच्चों को भी दें ट्रेनिंग
– आज के वक्त में छोटे बच्चों के साथ भी अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि उन्हें भी अपराध की बेसिक जानकारी दी जाए. कोई शख्स आपको किस नीयत से छू रहा है, वह किस जगह, किस तरीके से छू रहा है वो सही या गलत इसके बारे में बच्चों को जानकारी देना बहुत ज्यादा जरूरी है.
– बच्चा 3 से 4 साल का हो गया जाए, तो उसे यह बताना शुरू कर दीजिए कि कोई अनजान उसे खाने दो या साथ चलने को कहे तो इनकार कर दें.
– बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स के बारे में जानकारी दें. उन्हें बताएं कि इन पार्ट्स को माता-पिता के अलावा कोई छूता है तो यह गलत व्यवहार है. इस दौरान उसे चिल्लाना है, आसपास के लोगों को बुलाना है.
– बच्चे को बताएं कि उसे किसी भी अनजान के ज्यादा नजदीक जाने की जरूरत नहीं है. अगर, कोई उसे गोद में बैठाने की कोशिश करता है या उसके शरीर के किसी हिस्से को चूमता है तो उसे मना करना है.
कार्यक्षेत्र पर जानिए अपने अधिकारों के बारे में
जैसा कि ऊपर भी लिखा गया है कि जब हमें अधिकारों की जानकारी होगी, तभी आवाज को बुलंदी मिलेगी. इसलिए हर महिला के लिए जरूरी है अपने अधिकारों के बारे में जानना. हालही में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है. इस दौरान आपके साथ एक ही कार्यालय में काम करने वाला शख्स, शारीरिक संपर्क और उसके आगे जाना, या यौन संबंधों की मांग या अनुरोध, यौन से संबंधित टिप्पणियां, किसी भी तरह की अश्लीलता दिखाने की कोशिश करता है. इस तरह के मामले में आप अपने सीनियर्स या एडमिन डिपार्टमेंट में शिकायत दर्ज करवाते हुए कार्रवाई की मांग कर सकती हैं. कार्यस्थल पर होने वाले यौन-उत्पीड़न के ख़िलाफ़ वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ निर्देश जारी किए थे. सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों को ‘विशाखा गाइडलाइन्स’ के रूप में जाना जाता है.
Input : News18