पांच साल तक चले स्वच्छ भारत अभियान में सरकारी दफ्तरों की साफ-सफाई पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया। सरकार को उम्मीद थी कि साफ-सुथरा कार्यालय लोगों के लिए मिसाल बनेंगे। लेकिन, स्वच्छ भारत अभियान एवं कार्यालयों को स्वच्छ रखने का सरकारी आदेश मात्र रस्म अदायगी भर रह गया। अधिकतर सरकारी एवं अ‌र्द्धसरकारी कार्यालयों में साफ-सफाई की तस्वीर यह है कि उसका गलियारा कूड़ेदान और दीवारें पीकदान बनी हुई हैं।

कार्यालय भवन ही नहीं बाहरी प्रांगण भी नारकीय स्थिति में है। आपको सबसे अधिक आश्चर्य तब होगा जब कार्यालय के कर्मचारी जहां बैठते हैं उन्हें वहीं थूकते पाएंगे। सड़क पर झाड़ू चलाने और सरकारी समारोहों में स्वच्छता की शपथ लेने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी अपने कार्यालय में गंदगी फैलाते पाएंगे। जिला परिवहन कार्यालय, निबंधन विभाग, संयुक्त भवन इसके उदाहरण हैं। सदर अस्पताल में साफ-सफाई बदहाल

शहर का सदर अस्पताल और उसका वार्ड जाकर देख लें सच्चाई सामने होगी। वार्ड के बाहर नारकीय हालात दिख जाएंगे। अस्पताल से निकलने वाले कचरे का नियमित निष्पादन नहीं होता। उसे भवन के आस-पास कई दिनों तक जमा रखा जाता है। ये इलाज को अस्पताल आने वालों को उल्टे बीमार कर सकता है। सदर अस्पताल का महिला वार्ड, वहां चौतरफा गंदगी दिख जाएगी। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर सफाई से बेवफाई

सरकारी बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन की तस्वीर भी साफ-सुथरी नहीं है। बस स्टैंड की हालत पतली नजर आई। इसके लंबे-चौड़े परिसर में हर जगह गंदगी ही गंदगी दिखी। बस से प्रतिदिन यात्रा करने वाले राजू राय ने कहा कि परिसर में कभी झाड़ू लगती ही नहीं। हर तरफ गंदगी फैली है। रेलवे स्टेशन पर भी सफाई संतोषजनक नहीं है। स्टेशन के बाहरी परिसर में आपको सबसे अधिक गंदगी मिल जाएगी। छात्र-छात्राएं होंगी जागरूक, बनेंगे स्वच्छता दूत

कूड़े के कहर से दूषित हो रहे वातावरण का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों के स्वास्थ पर पड़ रहा है। इसलिए उनको स्वच्छता के प्रति जागरूक होना जरूरी है। वे स्वच्छता दूत बनकर लोगों को सड़क या सार्वजनिक स्थल पर कचरा फेकने से रोक सकते हैं। यें कहना है मोंटेसोरियन स्कूल के प्राचार्य बलराम प्रसाद का। उन्होंने कहा कि उनके विद्यालय में प्रार्थना के समय स्वच्छता के महत्व को बताया जाता है। मुखर्जी सेमिनरी स्कूल के शिक्षक प्रिंस ने कहा कि छात्र-छात्राओं को समय-समय पर कार्यक्रम कर स्वच्छता से होने वाले फायदे समझाए जाते हैं।

Input : Dainik jagran

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