लोकसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के उठापटक के बीच बिहार में एक मुद्दा खासा चर्चा में है। वह मुद्दा है चुनावी रणनीतिकार और जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर का राजनीतिक परिदृश्य से गायब रहने का। लोकसभा चुनाव की आहट से पहले प्रशांत बिहार में खासे सक्रिय थे। लेकिन चुनावों की घोषणा के बाद से पीके बिहार से लगातार बाहर ही रह रहे हैं। ऐसे में ना सिर्फ जदयू और एनडीए बल्कि राजनीति से जुड़ा हर आदमी जानना चाहता है कि प्रशांत बिहार में अब दिखेंगे भी या नहीं। वशिष्ठ नारायण सिंह आशान्वित हैं कि पीके जल्द ही आएंगे। पीके पूरे देश में घूम-घूम कर व्याख्यान दे रहे हैं या युवाओं के साथ संवाद करने में व्यस्त हैं। पीके ने हाल ही में चेन्नई आईआईटी में लेक्चर दिया। इसके बाद से वे लगातार ‘पीके स्पिक्स’ के जरिए युवाओं से संवाद कर रहे हैं। वैसे बिहार में भी पहले चरण की वोटिंग वाले इलाकों में पीके की कंपनी आई-पैक के सदस्य गया में काम करते दिखे।
I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me. More by Santosh Chaudhary