हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इसके अनुसार, माघ माह में कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 17 जनवरी, शुक्रवार को यानी आज है। कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी या भैरवाष्टमी के रूप मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान भैरव की पूजा और व्रत करते हैं। इस व्रत में भगवान काल भैरव की उपासना की जाती है।
- कालअष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से घर में फैली हुई हर तरह की नकारात्मक ताकतें दूर हो जाती है। भगवान शिव ने बुरी शक्तियों को मार भागने के लिए रौद्र रुप धारण किया था। कालभैरव इन्हीं का स्वरुप है।
नारद पुराण में बताया है महत्व
नारद पुराण में बताया गया है कि कालभैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मनुष्य किसी रोग से लम्बे समय से पीड़ित है तो वह रोग, तकलीफ और दुख भी दूर होती हैं।
काल भैरव की पूजा विधि
- इस दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं। संभव हो तो गंगा जल से शुद्धि करें।
- व्रत का संकल्प लें। पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें। ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें। इसके उपरान्त काल भैरव की आराधना करें। अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें। व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं।
रोगों से दूर रहता है व्यक्ति
- कालाष्टमी के दिन व्रत रखकर भगवान भैरव की पूजा तो की जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख और समृद्धि आती हैं। साथ ही काल भैरव की कथा सुननी चाहिए।
- कालअष्टमी के दिन भैरव पूजन से प्रेत और बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। मान्यता के अनुसार भगवान भैरव का वाहन काला कुत्ता माना जाता है। इस दिन काले कुत्ते को रोटी जरूर खिलानी चाहिए।
- कालाष्टमी पर किसी पास के मंदिर जाकर कालभैरव को दीपक जरूर लगाना चाहिए।
- कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि -विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। काल उससे दूर हो जाता है।
- इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।
Input : Dainik Bhaskar