केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. केदारनाथ धाम असंख्य भक्तों की आस्था का प्रतीक माना जाता है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव धरती के कल्याण हेतु 12 स्थानों पर प्रकट हुए थे. इन्हें ही 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ भी है. साथ ही यह पवित्र 4 धामों (Kedarnath Dham) में से एक है. हर साल भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए इस पवित्र स्थल की यात्रा के लिए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की कृपा इस मंदिर और यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों पर बनी रहती है. मान्यता है कि ये पवित्र मंदिर महाभारत के पांडवों द्वारा बनाया गया था. बाद में 8वीं शताब्दी ईस्वी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा इसका पुनः निर्माण करवाया गया.
भगवान शिव के उग्र अवतार हैं संरक्षक
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं उन्हें भैरों बाबा के मंदिर के दर्शन भी जरूर करने चाहिए. इससे बाबा प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि केदारनाथ मंदिर की रक्षा भैरो नाथ जी (Bhairon Nath Ji) करते हैं. उन्हें मंदिर का संरक्षक माना जाता है. भैरो नाथ का मंदिर केदारनाथ के मुख्य मंदिर के पास ही स्थित है. वह भगवान शिव का उग्र अवतार माने जाते हैं.
भव्य है केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर 6 फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बनाया गया है. इसके बाहरी प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं. इसकी दीवारें करीब 12 फुट मोटी हैं और यह मजबूत पत्थरों से बनाया गया है. यह बात आश्चर्य में डाल देती है कि इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर किस तरह मंदिर का निर्माण किया गया होगा. बाबा केदार का ये धाम कात्युहरी शैली में बना है. वहीं इस मंदिर की छत लकड़ी की बनी हुई है और इसके शिखर पर सोने का कलश रखा हुआ है. वहीं इस मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है. केदारनाथ धाम को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों ने भी भगवान शिव के एक मंदिर का निर्माण करवाया था. कहा जाता है कि इसके बाद इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने दसवीं ईसवी में करवाया.
स्कंद पुराण में कहा गया है यह
स्कंद पुराण में भगवान शंकर माता पार्वती से इस स्थान के बारे में कहते हैं, ‘यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं स्वयं. मैंने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया. तब से ही यह स्थान मेरा चिर-परिचित आवास है.’ मान्यता है कि केदारनाथ में जो तीर्थयात्री आते हैं, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वे अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Muzaffarpur Now इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)