मुजफ्फरपुर : आ रहे प्रवासी लोगों को हर प्रखंड के कोरेंटाईन सेंटर में रखा गया है। मुख्यतः सरकारी प्राईमरी स्कूलों को ही कोरेंटाईन सेंटर बनाया गया है। आप सब जानते ही है कि बिहार के सरकारी स्कूल शुरू से ही बच्चों द्वारा टिफ़िन इंटरवल में ही बस्ता फेंक निकल जाने कि अनेक कहानियों के लिए प्रसिद्ध रहा है। बस्ता फेंक, स्कूल छोड़ निकल जाने में सहायक स्कूल के बांउड्री वाल परीक्षा में रिश्तेदारों द्वारा चीट पुर्जे पहुंचाने के लिए फेमस है।
अब कोरोना काल में इन टूटे पड़े दिवारों का इस्तेमाल वहाँ रह रहें कोरेंटाईन किए गए प्रवासी लोगों के परिजनों द्वारा किया जा रहा है। मिलने जा रहे परिजनों के पास ढंग का मास्क भी नहीं है और मिल कर ये परिजन पुनः अपने गाँव घर समाज में लौट जा रहें हैं। जिला प्रशासन द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजाम को धत्ता बता कर ऐसा करने से मिलने जा रहे परिजन अपने गाँव समाज़ को कोरोना संक्रमण के खतरे के नजदीक ले जा रहे हैं।
ताज़ा मामला है कुढ़नी पंचायत के कमतौल गाँव का जहाँ के कोरेंटाईन सेंटर में रह रहें लोगों के परिजन मोटरसाइकिल लगा कर लोगों से मिल कर सामान्य लोगों के बीच लौट रहें हैं। प्रशासन से आग्रह है कि ऐसे टूटे पड़े दिवारों के पास एक सिपाही नियुक्त कर दिया जाए ताकि कोरेंटाईन का पालन सख्ती से हो सके, क्योकि सरकारी स्कूलों की दिवारें तो जब से सब देख रहें हैं तब से वैसी कि वैसी ही है न।
CJ : Manish Shahi