कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है. पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने इसके कारण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महामारी के दौरान खाद्य राहत पैकेट बांटने वाले एनजीओ और सरकारी एजेंसियों ने भी पारले-जी बिस्किट को तरजीह दी क्योंकि यह किफायती है और दो रुपये में भी मिलता है. साथ में यह ग्लूकोज का अच्छा स्रोत है.

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उन्होंने बताया कि वृद्धि जबर्दस्त थी और इसके नतीजतन लॉकडाउन के दौरान बाजार में पारले की हिस्सेदारी में 4.5 से पांच फीसदी का इजाफा हुआ. उन्‍होंने बताया कि बीते 30-40 साल में हमने ऐसी वृद्धि नहीं देखी है.उन्होंने बताया कि पहले आई सुनामी और भूकंप जैसे संकटों के दौरान भी पारले-जी की बिक्री बढ़ी थी.

गौरतलब है कि कोरोना की महामारी के कारण एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कारों से लेकर कपड़ों तक हर चीज की बिक्री में गिरावट आ रही है, जिससे कंपनियों को उत्पादन पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे समय में पारले-जी बिस्कुट की रिकॉर्ड बिक्री अपने आप में खास है. गौरतलब है कि दो और पांच रुपये प्रति पैकेट वाले पारले-जी बिस्कुट की कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों को खाद्य राहत पैकेज वितरित करने के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बीच काफी मांग रही.

(इस खबर को मुजफ्फरपुर नाउ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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