कोरोना वायरस के खतरे के बीच सरकार के तमाम निर्देशों के बावजूद बडी तादाद में लोग लॉक डाउन को तोडने में लगे हैं. लेकिन पश्चिम चंपारण के एक गांव ने मिसाल कायम कर दिया है. थारू आदिवासियों के इस गांव के लोगों ने खुद ही सारे रास्ते सील कर दिये हैं. लिहाजा कोई भी न गांव में आ सकता है और ना कोई बाहर जा सकता है.
थारू बहुल खजुरिया गांव ने दिखाया रास्ता
पश्चिम चंपारण जिले के थारू बहुल इलाके के खजुरिया गांव में लोगों ने खुद को कोरोना वायरस से बचाने की पहल की है. कल गांव के लोगों ने बैठक बुलायी. बैठक में तय किया गया कि कोरोना के कहर से बचने के लिए खुद पहल करना होगा. आपसी सहमति के बाद गांव के लोगों ने सारे रास्तों को बंद कर दिया. खजुरिया गांव के सारे रास्तों को बांस-बल्लों से लेकर दूसरे तरीके से घेर कर बंद कर दिया गया है. लोगों ने रास्तों को बंद कर लॉक डाउन का बोर्ड लगा दिया है.
गांव के लोगों ने तय किया है कि वे खुद ही गांव के बाहर नहीं निकलेंगे और ना ही किसी को बाहर से गांव के अंदर आने देंगे. ग्रामीणों ने रास्ते की बैरकेटिंग करके आवागमन रोक दिया है. गांव में एंट्री और निकास के सभी जगहों पर ग्रामीण पहरा दे रहे हैं. वे इमरजेंसी, मेडिकल सुविधा और प्रशासन के लोगों को छोड़ किसी को भी आने-जाने नहीं दे रहे हैं.
खजुरिया गांव हरनाटांड पंचायत के तहत आता है. पंचायत के उपमुखिया भीखम काजी ने बताया कि गांव में हुई बैठक में खुद को कोरोना के खतरे से बचाने पर सभी एकमत हो गये. इसके बाद ही इस गांव में बाहरी लोगों के आवागमन पर रोक लगा दी गयी है. उप मुखिया ने बताया कि प्रधानमंत्री ने बड़े विस्तार से बताया है कि किस तरह से लोग खुद को कोरोना वायरस के कहर से बचा सकते हैं. गांव के लोग प्रधानमंत्री की बात पर हर हाल में अमल करने को तैयार हैं.
अगल-बगल के गांवों को भी कर रहे जागरूक
खजुरिया गांव के लोग पूरे इलाके को कोरोना वायरस से महफूज रखना चाहते हैं. वे समझ रहे हैं कि अगल बगल के गांव में कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ तो उनका भी बचना मुश्किल होगा. लिहाजा वे पड़ोस के गांवों के लोगों को भी रास्ता सील करने के लिए समझाने में लगे हैं. खुजरिया गांव की पहल पर कई दूसरे गांव के लोग भी रास्ते सील करने की तैयारी में लग गये हैं.
Input:First Bihar