रोजगार बढ़ाने के लिए राज्य में रेशम की खेती का विस्तार किया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के किशनगंज कॉलेज में सेरीकल्चर केंद्र को आधुनिक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा। किसानों को नवीनतम तकनीक से रेशम के उत्पादन की जानकारी दी जाएगी। साथ ही व्यापार बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

केंद्र व राज्य दोनों सरकार का लगेगा पैसा : केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की रफ्तार योजना के तहत यह नया प्रावधान किया है। इस पर खर्च होने वाली राशि में केंद्र व राज्य सरकार का हिस्सा आधा-आधा होगा। राशि बीएयू को उपलब्ध करा दी गई है और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।

राज्य के 80.51 लाख लोग जुड़े हैं : केंद्र सरकार ने रोजगार बढाने के लिए सर्वे कराया तो जानकारी मिली की राज्य के रेशम उद्योग में 80.51 लाख लोग लगे हैं। यह संख्या वर्ष 2013-14 में 70.85 लाख थी। इसमें रेशम की खेती करने वाले किसानों से लेकर व्यापारी तक शामिल है। लिहाजा केंद्र ने अपनी नई योजना में इसे शामिल कर रोजगार बढ़ाने का टास्क बिहार कृषि विश्वविद्यालय को दिया है।

एक कीडा नौ सौ मीटर धागा देता

किशनगंज के वैज्ञानिक डॉ. कल्मेश कहते हैं कि अर्जुन के पौधे लगाकर उसपर तसर का कीड़ा छोड़ा जाता है। इरी यानी अंडी के पत्ते तोड़ने के बाद कीड़े को खिलाया जाता है। जब कीड़े धागा देने के स्थिति में आते हैं तो उनकी प्रोसेसिंग की जाती है।
अभी एक कीड़ा से 800 से 900 मीटर धागा मिलता है। हमारा प्रयास है कि हम डेढ़ हजार मीटर तक धागा ले सकें।

योजना का उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगार युवकों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के साथ किसानों की आमदनी बढ़ाना है।किशनगंज के केंद्र को आधुनिक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा।

– डॉ. आरके सोहाने, नोडल अधिकारी

Source : Hindustan

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