सबसे दुख की बात यही है कि यह बीमारी पहली बार नहीं आई है.वर्षों से मुजफ्फरपुर के इलाके में इस बीमारी का प्रकोप है. खासकर गर्मी में ज्यादा रहता है. हर साल बच्चे बीमार होते हैं.मासूम बच्चों कि मौत होती है.उसके बावजूद इसके रोकथाम का इंतजाम विशेष रूप से नहीं किया गया.सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. इस गंभीर मामले पर बिहार सरकार और भारत सरकार को संज्ञान लेना चाहिए था.
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि एक बात सभी बच्चों में कॉमन है, कि सभी गरीब परिवार से है. कुपोषण बच्चों की मौत का बड़ी कारण है. इसे रोकने के लिए इंतजाम करना चाहिए था.लेकिन अभी तक सरकार का ध्यान नहीं है. इस पर सरकार को अविलंब ध्यान देना चाहिए.एक बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुद आना चाहिए.100 से अधिक बच्चे दम तोड़ चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 5 साल पहले भी इनिशिएटिव लिया गया था.दिल्ली में मीटिंग भी हुई थी.डॉक्टर हर्षवर्धन उस समय भी मुजफ्फरपुर आए थे. वही उस समय जैसा स्टेटमेंट दिया था. इस बार भी वैसा ही स्टेटमेंट देकर चले गए हैं.डॉ हर्षवर्धन ने जांच और इंतजाम की बात कही थी.
आगे बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है.आईसीयू बनाने की जरूरत थी.लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सिर्फ आश्वासन देकर चले गए. अगले साल फिर बीमारी आएगी. फिर आश्वासन मिलेगा.उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि गरीब घर के बच्चे मर रहे हैं.अगर अमीर या बड़े परिवार के बच्चे मरते तो मुख्यमंत्री से लेकर बड़े-बड़े नेता और ना जाने कौन-कौन मुजफ्फरपुर आते.