निर्भया के चारों दुष्कर्मियों को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी लटकाना तय माना जा रहा है। लेकिन इससे पहले ही गुरुवार रात को दोषियों के वकील एपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट की डिवीजनल बेंच में इस पर सुनवाई जारी है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नेरुला तीन दोषियों की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। याचिका में अलग-अलग कोर्ट के सामने दाखिल कई अर्जियों के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की मांग की गई है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “न तो कोई सूची है, न हलफनामा है और न ही पक्षकारों का मेमो है। इस केस में कुछ भी नहीं है। क्या आपके (एपी सिंह) पास इस याचिका को दाखिल करने की इजाजत है? ” इस पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा- कोरोनावायरस की वजह से कोई भी फोटोकॉपी मशीन काम नहीं कर रही थी। हाईकोर्ट की बेंच ने सिंह से कहा, “आज आप तीन कोर्ट में जा चुके हैं। आप यह नहीं कह सकते कि सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। हम रात को 10 बजे आपके मामले की सुनवाई के लिए यहां बैठे हैं।”
इस याचिका में दोपहर को पटियाला हाउस कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट तक दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। अदालतों ने 6 याचिकाओं को खारिज कर दिया। सरकारी वकील ने कोर्ट में बताया कि चारों दोषियों के पास अब कोई कानूनी विकल्प बाकी नहीं है। वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद अब बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।
दिनभर में 6 याचिकाएं खारिज हुईं
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की दूसरी दया याचिका नामंजूर कर दी।
अक्षय ने राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका ठुकराने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, अदालत ने इसे भी खारिज किया।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने दावा किया था कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में ही नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट में ही दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो गई।
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया।
दोषी के पास कोई विकल्प नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की याचिका खारिज करते हुए कहा कि दोषी ने अपने सभी कानूनी विकल्प इस्तेमाल कर लिए हैं। अब इस स्थिति में किसी नए सबूत पर विचार नहीं कर सकते। इस बीच तिहाड़ में दो सहायक अधीक्षकों दीपक शर्मा और जय सिंह को तैनात किया गया है।
दोषियों के वकील तर्क देते रहे
दोषियों के वकील एपी सिंह अपने मुवक्किलों के लिए कोर्ट में दलीलें देते रहे। सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दया याचिका खारिज होने से कई लोगों पर प्रभाव पड़ेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कह चुके हैं कि दूसरी बार दया याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया। ऐसे में न्यायिक समीक्षा के क्या मायने है? सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट में कहा- लंबित मामलों की सुनवाई दूसरी कोर्ट में की जाए। फिलहाल सजा पर रोक लगाएं, क्योंकि कोरोना संकट का असर अदालतों के कामकाज पर पड़ रहा है।
पटियाला हाउस कोर्ट में 3 दोषियों की याचिका खारिज
पटियाला हाउस कोर्ट में बुधवार को दोषी अक्षय सिंह ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने याचिका लगाई थी, जिसमें फांसी पर रोक लगाने की बात कही गई थी। सरकारी वकील ने एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा को बताया कि अक्षय और पवन की दूसरी दया याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई, क्योंकि पहली दया याचिका पर ही फैसला ले लिया गया था। इस बीच, कोर्ट के बाहर हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। सुनवाई के दौरान दोषी अक्षय की पत्नी बेहोश हो गई।
निर्भया की मां को उम्मीद
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा- कोर्ट ने दोषियों को कई मौके दिए। आखिरकार दोषी शुक्रवार को फांसी पर लटकेंगे। अब मुझे शांति मिली। 7 साल के लंबे संघर्ष के बाद बेटी को आत्मा को भी शांति मिलेगी। देश की बेटियों को न्याय मिलेगा। फांसी से पहले दोषी बचने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते रहे, लेकिन कोर्ट इससे वाकिफ हो चुका है।
तीन डेथ वॉरंट खारिज
पहली बार- 22 जनवरी को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन टल गई।
दूसरी बार- 1 फरवरी को फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी किया गया, लेकिन फांसी नहीं हुई।
तीसरी बार- 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन दोषी पवन के पास कानूनी विकल्प बचे होने के चलते फांसी टली।
चौथी बार- दिल्ली कोर्ट ने 5 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी का आदेश दिया था।
16 दिसंबर 2012: 6 दोषियों ने निर्भया से दरिंदगी की थी
दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।
Input:Dainik Bhaskar