सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ खूनी संघर्ष का बदला मैदान-ए-जंग में भारत किस तरह लेगा यह भविष्य की बात है लेकिन तत्काल प्रभाव से चीन को आर्थिक रूप से घायल करने की तैयारी हो गई है। बुधवार को सरकारी स्तर पर फैसला हो गया है कि टेलीकॉम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनी बीएसएनएल की 4जी टेक्नोलॉजी की स्थापना में चीन की कंपनियों को दूर रखा जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार संचार मंत्रालय ने बीएसएनएल को इसका निर्देश दे दिया है। इस दिशा में जारी टेंडर को रिवर्स करने का भी फैसला किया गया है। साफ है कि चीनी कंपनियां अब इससे बाहर की जाएंगी।

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बीएसएनएल के 4जी टेंडर में चीनी कंपनियों को नहीं दिया जाएगा मौका

मृतप्राय हो चुकी बीएसएनएल को रिवाइव करने के लिए इन दिनों संचार विभाग की तरफ से कई प्रयास किए जा रहे हैं। बीएसएनएल की 4जी सेवा की स्थापना उनमें से एक हैं। 4जी सेवा की स्थापना के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों के मुताबिक इस टेंडर में चीनी कंपनियों को रोकने के लिए टेंडर को नए नियमों के साथ फिर से जारी करने का निर्देश दिया गया है। चीनी उपकरणों को लेकर भारत सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए अब 5जी टेक्नोलॉजी के टेंडर में भी चीनी कंपनियों की दाल गलने की संभावना नहीं है। यह चीन के लिए बड़ा नुकसान होगा।

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मोबाइल सेवा की निजी कंपनियों को भी चीनी सामान से परहेज करने का निर्देश

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक संचार विभाग मोबाइल सेवा के क्षेत्र में भी चीन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रहा है। इसीलिए टेलीकॉम क्षेत्र की निजी कंपनियों को भी चीन की कंपनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कहा गया है। निजी टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल सेवा से जुड़े उपकरणों में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है। बताया तो यह भी जा रहा है कि चीनी उपकरणों की सुरक्षा जांच अब बहुत सख्त हो सकती है। दरअसल चीन के उपकरणों पर कई बार सवाल उठाए गए हैं।

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चीनी उपकरणों में सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सख्त होंगे तेवर

चीन के उपकरणों से भारत की जासूसी को लेकर भी कई बार सवाल उठे हैं। चीनी कंपनी हुआवे एवं जेटीई कठघरे में है और यह माना जाता रहा है कि इन कंपनियों में परोक्ष रूप से सरकार शामिल है। अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश इस बात को मानते हैं कि इन कंपनियों में चीन की सरकार की हिस्सेदारी है। इन देशों में सख्त कदम भी उठे हैं। भारत भी उसी दिशा में बढ़ा तो चीन के लिए परेशानी बढ़ेगी। भारत की ओर से प्रतिशोध का यह पहला कदम माना जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में कुछ और निर्णय हो सकते हैं।

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