अमरेन्द्र तिवारी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इस शहर में उनकी यादें अभी जिंदा हैं। हर साल उनके नाम पर समारोह-संगोष्ठी होती रहती हैैं। उनसे जुड़ी यादों की चर्चा करने पर वरीय भाजपा नेता पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा भावुक हो जाते है। पुरानी याद ताजा करते हुए कहते हैं कि वह जब भी मुजफ्फरपुर आए तो उनके आवास पर अवश्य आते और भोजन करते थे। पीएम बनने से पहले और पीएम बनने के बाद भी उनके घर पर उनका आगमन हुआ। उनसे पारिवारिक रिश्ता हो गया था। जब भोजन की थाली उनके सामने आती तो वह अवश्य यह पूछते ही दही बड़ा की प्लेट किधर रह गई। खूब मन से दोबारा भी मांगकर उसको खाते थे। इसके साथ पकौड़ी व प्याजू भी उनकी पसंद में शामिल थी। ज्यादातर सादा भोजन उनको पंसद था। यहां की लीची लेकर उनके पास गए, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। बाद में उन्होंने अपने अतिथियों के साथ लीची खाने का वीडियो बनाकर दिखाया। बहुत आश्चर्य लगा कि कार्यकर्ता की भावना का इतना ख्याल करते हैैं। उनके नाम पर उन्होंने अटल सभागार का निर्माण कराया है। अब किसी सार्वजनिक जगह पर उनकी आदमकद प्रतिमा अपने खर्च से लगाने का संकल्प लिए हैं।
बाढ़ का जायजा लेने आए तो सबसे मिले
भाजपा नेता मनीष कुमार ने बताया कि 2004 में वह हवाई अड्डा पर आए थे। हवाई सर्वेक्षण के दौरान बाढ़ का जायजा लिया। मनीष बताते हैं कि तत्कालीन जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में उनका स्वागत हुआ। भोजन किया और बाढ़ पर चर्चा की। इसके बाद पटना चले गए। उस समय भाजपा के वरीय नेता अयोध्या प्रसाद, रवीन्द्र प्रसाद ङ्क्षसह, शशि कमार ङ्क्षसह आदि भी मौजूद थे।
जलान औषधालय में विजिटर रजिस्टर सुरक्षित
सरैयागंज टावर स्थित जलान औषधालय में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस विजिटर रजिस्टर पर अपना संदेश दिया वह आज भी सुरक्षित है। औषधालय परिसर में अपनी दवा की दुकान चलाने वाले सुनील शर्मा कहते हैं कि बात 1957 की है। उस समय अटल जी पहली बार सांसद बने थे। इस परिसर का भ्रमण किया। यहां मरीजों के निशुल्क इलाज की सराहना की। सुनील बताते हैं कि उनके पिता डा.लोकनाथ शर्मा और चाचा वैध गोपाल शर्मा प्रधान वैध थे। उनकी मुलाकात वाजपेयी जी से हुई। उन्होंने यहां का तैयार च्यवनप्राश दिया। उन्होंने उसको चखा भी। विजिटर बुक में उनके हाथ से लिखा संदेश अब भी सुरक्षित है। लोग आज भी आकर उसे देखते है। इस परिसर से उनकी याद भी जिंदा है।
Source : Dainik Jagran