सरकार ने 1 अक्टूबर से तंबाकू, पान मसाला और मेंथा ऑयल जैसी वस्तुओं के निर्यात के लिए इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स (IGST) रिफंड पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. कैपेसिटी बेस्ड टैक्सेशन और स्पेशल कंपोजिशन स्कीम पर मंत्रियों के समूह (GoM) की सिफारिशों के अनुसार पिछले महीने GST काउंसिल ने अपनी 50वीं मीटिंग में इस फैसले को मंजूरी दी थी.
ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी की अध्यक्षता में पेश किया गया यह उपाय पान मसाला, चबाने वाले तंबाकू और इसी तरह के प्रोडक्ट्स पर टैक्स चोरी को रोकने के लिए लागू किया गया है.
क्या होगा इस प्रतिबंध का फायदा?
AMRG एंड एसोसिएट्स के सिनियर पार्टनर रजत मोहन के हवाले से मनीकंट्रोल ने लिखा है कि पान मसाला तंबाकू और अन्य समान वस्तुओं के लिए ऑटोमेटेड रिफंड पर इस तरह के प्रतिबंध लगाने से एक्सपोर्टर्स के कैश फ्लो में कमी आने के साथ-साथ इस सेक्टर में ग्लोबल कॉम्पिटिशन भी कम होगा और एक्सपोर्टर्स पर अनुपालन और प्रशासनिक बोझ बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध के प्रभाव से एक्सपोर्टर्स कैश फ्लो में परेशानियों के चलते अपने निर्यात की मात्रा को कम कर सकते हैं. जबकि, IGST रिफंड को प्रतिबंधित करने से रिफंड अमाउंट ज्यादा एक्सटेंडेड अवधि के लिए सरकार के पास रहेगा, जिससे टैक्स रेवेन्यू में अस्थायी बढ़ोतरी हो सकती है.
पान मसाला के एक्सपोर्टर्स के लिए साल 2023 की आखिरी तिमाही में कैश फ्लो की स्थिति बाधित हो सकती है, जिससे बिजनेस की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित होगी.
दुनिया के किस हिस्से में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट
बता दें कि भारत पान मसाला एक्पोर्ट करने के मामले में दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है, जो मुख्य रूप से मीडिल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया के साथ-साथ अफ्रीकी देशों में इसका एक्पोर्ट करता है. हालांकि, ऐसे एक्सपोर्ट के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसे टैक्स रिफंड को ज्यूरिडिक्शनल टैक्स अथॉरिटी के प्रॉपर ऑफिसर द्वारा सामान्य प्रक्रिया के तहत मंजूरी दी जाती रहेगी.
इसके अलावा, GoM की रिपोर्ट यह सुझाव भी देती है कि साल 2023 के अंत तक सभी तंबाकू मैन्युफैक्चरर्स के लिए ट्रैक-एंड-ट्रेस मैकेनिज्म के इम्प्लिमेंटेशन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.
सरकार ने तय कर दी है सेस
सरकार ने पान मसाला, सिगरेट और तंबाकू के अन्य रूपों पर लगाए जाने वाले GST कंपनसेशन उपकर (Cess) की अधिकतम रेट भी तय कर दी है और हाईएस्ट रेट को उनके रिटेल सेल प्राइस से जोड़ दिया है. उपकर दर की कैपिंग फाइनेंस बिल, 2023 में संशोधन के हिस्से के रूप में लाई गई थी, जिसे 24 मार्च को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था.
Source : CNBC