मकर संक्रांति में चंद दिन शेष हैं। तिल-गुड़ की सोंधी खुशबू से बाजार गुलजार है। स्थानीय और गया के कारीगर तिलकुट बनाने में लगे हैं। हर चौक-चौराहे पर चूड़ा, तिलकुट और लाई की दुकानें सजी हैं। वैसे तो एक माह पूर्व ही दुकानें सज गई थीं, मगर जनवरी शुरू होते ही तिलकुट की बिक्री तेज हो गई है। बालूघाट बांध रोड के श्याम कुमार का कहना कि वैसे तो बाजार में हर प्रकार के तिलकुट मिल रहे हैं, लेकिन लोगों की पसंद खोया तिलकुट बना है। खरीदारी कर रहे अखाड़ाघाट के मनोज कुमार ने बताया कि ठंड में तिलकुट खाना सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसलिए वे स्वाद व सेहत का ख्याल रखते हुए खरीदारी कर रहे हैं। खोया तिलकुट कुछ महंगा है, लेकिन सबसे खास है।
पौष पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्रग्रहण
इस बार पौष पूर्णिमा पर 10 जनवरी को साल का पहला चंद्रग्रहण लग रहा है। हालांकि, यह भारत में दृश्य नहीं होगा। एशिया, यूरोप व अफ्रीका के कई क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। पौष पूर्णिमा पर लग रहे इस ग्रहण का खास महत्व बताया जा रहा है। इस दिन स्नानादि के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व रहेगा। बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक बताते हैं कि चूंकि यह ग्रहण यहां दृश्य नहीं होगा, इसलिए सूतक नहीं लगेगा।
- गुड़ तिलकुट220-260
- चीनी तिलकुट180-240
- सफेद तिल लड्डू 220-240
- काला तिल लड्ड220-240
- खोया तिलकुट 300-350
- रेवड़ी140-160
- लाई 60-80
- चूड़ा30-32
- चूड़ा कतरनी50-70
- गुड़40-46
- दूध पापड़ी350-400
- काला तिल180-190
- सफेद तिल160
- मूढ़ी40-50
बजट की भी नहीं परवाह
हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस बार दाम में वृद्धि जरूर हुई है। मगर, अन्य मिठाई की अपेक्षा तिलकुट सस्ता होने से लोगों की पसंद बना है।
Input : Dainik Jagran