तीन साल से शहरवासी Smart city की तलाश कर रहे हैं। भारी भरकम राशि आवंटित होने के बाद भी अभी तक कोई भी काम धरातल पर शुरू नहीं हो सका है। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का मिशन योजनाओं के चयन और डीपीआर बनाने से लेकर उसकी स्वीकृति में ही उलझ कर रह गया है। स्मार्ट सिटी कंपनी के पदाधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय और इच्छाशक्ति नहीं होने से काम रुका हुआ है। कंपनी के प्रोजेक्ट डेवलपमेंट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीडीएमसी) की अक्षमता भी स्मार्ट सिटी की राह में रोड़ा बनी है।
वर्ष 2017 में हुआ था शहर का चयन
दो दौर में पिछडऩे के बाद 23 जून 2017 को तीसरे चरण में शहर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया गया था। लेकिन, अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका। चयन के बाद का एक साल कंसल्टेंट कंपनी चयनित करने में बीत गया। जून 2018 में श्रेया नामक एजेंसी का चयन किया गया। कंपनी ने उसे योजना के चयन और सर्वे सहित दूसरे प्रोजेक्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी। उसके बाद स्मार्ट सिटी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन काम में तेजी नहीं आई।
न कार्यालय खुला और न ही बहाली हुई
स्मार्ट सिटी परियोजना को मूर्तरूप देने के लिए कंपनी का गठन हो गया। एजेंसी का चयन भी कर लिया गया, लेकिन अबतक इसका कार्यालय नहीं बना। संयुक्त भवन स्थित एक कमरे से फिलहाल इतने बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यही नहीं स्मार्ट सिटी के लिए अधिकारियों व कर्मियों की नियुक्ति भी नहीं की गई। इसका काम नगर निगम के कर्मियों के भरोसे ही चल रहा है।
स्मार्ट सिटी के विकास पर होना है 1580 करोड़ खर्च
शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए अक्टूबर 2017 में सरकार ने 1580 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। इसे खर्च करने के लिए खाका खींचा गया था। क्षेत्र आधारित विकास एवं पैन सिटी के विकास को अलग-अलग योजनाएं बनाई गईं। क्षेत्र आधारित विकास के लिए 1268 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
निर्धारित क्षेत्र से बाहर की योजनाएं चयन कर समय व पैसे की बर्बादी
स्मार्ट सिटी कंपनी के पदाधिकारी एवं कंसल्टेंट की नासमझी से प्रोजेक्ट के विपरीत चयनित क्षेत्र से बाहर की योजनाओं का चयन कर समय एवं पैसे की बर्बादी की गई। जुब्बा सहनी पार्क व खबड़ा चिल्ड्रेंस पार्क इसका उदाहरण हैं। दोनों पार्क के विकास के लिए करोड़ों की डीपीआर बनाई गई, फिर उसका टेंडर किया गया। लेकिन, बाद में उसे स्थगित कर दिया गया।
Input : Dainik Jagran