दरभंगा एयरपोर्ट पर रनवे के रिकारपेटिग और सिविल इनक्लेव का कार्य तेजी से किया जा रहा है। वहीं, सिविल इनक्लेव से यात्रियों को प्लेन तक ले जाने के लिए एयरफोर्स की चहारदीवारी के बगल से सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। रनवे के विभिन्न हिस्सों में रिकारपेटिग का कार्य किया जा रहा है। दरभंगा एयरपोर्ट का रनवे 9 हजार मीटर लंबा है। जबकि पटना एयरपोर्ट का रनवे 6 हजार मीटर लंबा है। पूर्व से दरभंगा एयरपोर्ट का रनवे कंक्रीट से बना हुआ है।
जानकार बताते हैं कि वर्ष 1964 में बनाया गए रनवे में आजतक दरार नहीं पड़ी। डीजीसीए के निर्देशानुसार अब रनवे के निर्माण में बिटमिन का प्रयोग किया जाता है, ताकि फ्लाइटस की लैडिग में किसी तरह की कोई परेशानी न हो। इधर, संवेदक कंपनी को 31 मई तक एयरपोर्ट हैंडओवर कर देना है, लिहाजा काम को हर-हाल में पूरा करने का प्रेशर ऊपर से ही संवेदक कंपनी पर है। हालांकि बिटमिन की कमी के कारण काम धीमी गति से चल रहा है। इसको गंभीरता से लेते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने बिटमिन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया है।
बुधवार को स्पाइस जेट के अधिकारी और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने दरभंगा एयरपोर्ट पर चल रहे कामों की समीक्षा की। इस दौरान विग कमांडर राजीव रंजन ने उनलोगों को साइट में ले जाकर कामों की जानकारी दी। बताया कि रनवे रिकारपेटिग का काम खत्म होते ही जहाजों की लैडिग आराम से हो सकती है। इधर, विमानन कंपनी के अधिकारी तेजी से किए जा रहे काम को देखकर दंग थे। बताया कि इतनी तेजी से किसी भी एयरपोर्ट पर उन्होंने काम होते नहीं देखा।
स्पाइस जेट के अधिकारी सैयद जेड हसन ने बताया कि एयरपोर्ट के निर्माण से न केवल महानगर आने-जाने वाले लोगों को इसका फायदा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे। एयरपोर्ट के शुरू होने से आसपास के इलाके में नए-नए होटल और ओला-ऊबेर जैसे टैक्सियों की मांग भी बढ़ जाएगी। इतना ही नहीं, पटना की बजाए नॉर्थ बिहार के अधिकांश इलाके के लोग दरभंगा आकर ही अपने गंतव्य तक जा सकेंगे।
Input : Dainik Jagran