आज लगातार चौथे दिन भी मुजफ्फरपुर में तीन और कोरोना संक्रमित मरीज़ कि पुष्टि हो चुकी है। इसे महज़ संयोग ही समझा जाएगा लेकिन यह दुःखद संयोग हीं है।हम इंसान में एक ये बात सबसे अच्छी है कि हमलोग बुरे से बुरे हालात में भी हँसने,मुस्कुराने और खुश रहने के लिए कुछ न कुछ अच्छा उन बुरे में से भी ढूंढ ही निकालतें है। बढ़ रहे सोशल मीडिया के इस दौर में तो ये आम बात हो चली है,जहाँ एक दूसरे से जुड़े रहते हुए छोटी छोटी सकारात्मक बातों को भी आपस में बाँटा जाता है।

आज जब फिर से मुजफ्फरपुर में तीन ही संक्रमित मरीज़ मिलें तो फेसबुक पोस्ट्स,वाट्सएप के स्टेटस और ग्रुप में तीन से जुड़े संयोग कि चर्चा कि बाढ़ सी आ गई। लोगों ने आपस में “तीन टिकट महाविकट” से शुरुआत करते हुए “तीन तीगाड़ा खेल बिगाड़ा” तक कि चर्चा शुरू कर दिया। ये महज संयोग ही है या आ रहे प्रवासी लोगों का ढंग से जाँच नहीं हो पाना कि आ रहे उतने लोगों में से हर रोज मात्र तीन लोग ही कोरोना पाॅजीटीव मिल पा रहें हैं।सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कोरेंटाईन सेंटर कि दुर्दशा और रेल मार्ग से मुजफ्फरपुर में प्रवेश के रास्ते में आने वाले रामदयालु स्टेशन पर मरीजों के उतर भागने कि विडियो के बीच इस तरह कि चर्चा को बल भी मिल रहा है।

सोशल मीडिया पर लोग कोरेंटाईन सेंटर कि बदहाली के लिए प्रसाशनिक तैयारी में चूक मान रहें हैं,जहाँ तैयारी को मिले उतने दिनों बाद भी मुजफ्फरपुर के कोरेंटाईन सेंटर में आने वाले अप्रवासीयों को तय मानकों के आस-पास भी नहीं रखा जा रहा है।नहाने के लिए वो एक ही चापाकल पर इकट्ठा हो रहें है जिससे सोशल डिस्टेंसींग का नियम नजरअंदाज हो जा रहा है। थूकने के लिए बेसिन नहीं होने कि वजह से प्रवासी लोग कोरेंटाईन सेंटर के कैंपस में ही थूकते नजर आ रहें हैं। लगातार चार दिनों से मिल रहे ख़बर कि वजह से लोगों में वजहों कि चर्चा तेज है ऐसे में अब आशा करतें हैं की कल से बाबा गरीबनाथ और दाता कंबल शाह कि इस धरती पर कोरोना संक्रमित मरीज़ों के आंकड़े में कोई इज़ाफा न हो।आप सब से आग्रह है कि कृप्या सोशल डिस्टेंसींग का ख्याल करें,इधर-उधर बिल्कुल ना थूके,मास्क या गमछा का इस्तेमाल करते हुए ही बाहर निकलें और घर वापस आ कर हाँथ साबुन से जरूर धो लें।

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