देश की न्याय व्यवस्था को लेकर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने चिंता जाहिर की है. हमेशा से देश की न्याय व्यवस्था में इंसाफ मिलने में देरी होने पर सवाल उठाए जाते रहे हैं लेकिन इस बार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एनवी रमना ने न्याय पालिका की दूसरी खामियों के बारे में अपनी चिंता जताई है. CJI रमना ने कहा है कि हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के दौर की है और इसका भारतीयकरण करने की जरूरत है.
कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल के जस्टिस एमएम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे CJI एनवी रमना ने कहा कि देश में आज भी गुलामी के समय की न्याय व्यवस्था चली आ रही है. जो शायद आज के समय में देश के लिए ठीक नहीं है. CJI रमना ने जोर देते हुए कहा कि भारत की समस्याओं पर अदालतों की वर्तमान कार्यशैली कहीं से भी फिट नहीं बैठती है.
CJI रमना ने कहा कि कोर्ट के अंदर अंग्रेजी में होने वाली कानूनी कार्यवाही को ग्रामीण समझ नहीं पाता है. यही कारण है कि किसी भी केस में उसके ज्यादा पैसे खर्च होते हैं. उन्होंने कहा कि न्याय पालिका का का काम ऐसा होना चाहिए कि आम आदमी को कोर्ट और जज से किसी भी तरह का डर नहीं लगे.
कोर्ट की कार्यवाही पारदर्शी होनी चाहिए
CJI रमना ने कहा न्याय व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का होता है. कोर्ट की कार्यवाही पूरी तरह से पारदर्शी और जवाबदेही भरी होनी चाहिए. कोर्ट में मौजूद जज और वकीलों को कर्तव्य है कि वह कोर्ट परिसर में ऐसा माहौल तैयार करें जिससे किसी को भी न्यायालय आने में डर न लगे.
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